राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का एक हिस्सा अजित पवार की अगुवाई में पार्टी से अलग होकर जून 2023 में भाजपा में शामिल हो गया था। पर शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग के सामने कहा कि पार्टी में न तो कोई टूट है और न ही कोई अलग-अलग गुट है। साथ ही यह भी कहा कि जब पार्टी में कोई टूट ही नहीं हुई है तो चुनाव आयोग इस मामले को कैसे सुन सकता है।
अजित पवार गुट के चुनाव आयोग से पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न आवंटित करने के आग्रह पर शरद पवार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शुक्रवार को कहा कि इस मांग की कोई कानूनी वैधता नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी में पहले से कोई विवाद नहीं था। सिंघवी ने दिल्ली में चुनाव आयोग के समक्ष सुनवाई के बाद मीडियाकर्मियों से कहा, “जब शरद पवार गुट और प्रतिद्वंद्वी अजित पवार गुट के बीच कोई विवाद नहीं है, तो वह चुनाव आयोग के पास कैसे जा सकते हैं और पार्टी के नाम और प्रतीक पर दावा कैसे कर सकते हैं?”
शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग के सामने पार्टी में कोई टूट नहीं होना का दावा किया है। शुक्रवार को चुनाव आयोग में सुनवाई के दौरान शरद पवार गुट ने फिर दलीलें रखीं। गुट ने कहा कि 30 जून से पहले जब राष्ट्रीय कार्यसमिति में शरद पवार को मुखिया माना गया था तो फिर पार्टी में टूट कहां से होगी।
सिंघवी ने कहा कि अगर पार्टी के ढाई दशक के इतिहास पर नजर डालें तो कभी कोई विवाद नहीं हुआ, शरद पवार के अध्यक्ष चुने जाने पर कभी कोई आपत्ति नहीं जताई गई। सिंघवी ने कहा, “उन्हें सर्वसम्मति से एनसीपी अध्यक्ष चुना गया था और उनके चुनाव और राष्ट्रीय परिषद की बैठकें बुलाने से संबंधित सभी दस्तावेजों पर अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल ने हस्ताक्षर किए।”
उन्होंने कहा कि कोई विवाद रातोरात पैदा नहीं किया जा सकता। 30 जून को एक विवाद सामने आया जब अजित पवार गुट ने पार्टी के प्रतीक और नाम पर दावा करते हुए चुनाव आयोग का रुख किया। सिंघवी ने कहा कि हमने अपना तर्क स्थापित करने के लिए सभी प्रासंगिक दस्तावेज आयोग को सौंप दिए हैं। सुनवाई 29 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
चुनाव आयोग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, 28 नवंबर को शरद पवार गुट की सुनवाई पूरी होने के बाद आयोग 29 नवंबर को अजित पवार गुट को अपना पक्ष रखने का मौका देगा। माना जा रहा है कि दोनों ही पक्षों को सुनने के बाद EC जल्द ही इसे लेकर अपना फैसला भी दे सकता है।