निर्माणाधीन सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों के रेस्क्यू ऑपरेशन के दसवें दिन प्रशासन को श्रमिकों के साथ वीडियो कम्यूनिकेशन स्थापित करने में सफलता मिली। सोमवार को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए छह इंच का पाइप फंसे हुए लोगों तक पहुंच गया था, जिसका उपयोग दूसरी ओर एक एंडोस्कोपिक कैमरा भेजने के लिए किया गया था।
बचाव अभियान के दसवें दिन मंगलवार को सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के सकुशल होने का पहला वीडियो सामने आया जिसने उनके परिवारों की उम्मीद के साथ ही बचावकर्मियों का मनोबल भी बढ़ा दिया। प्रशासन द्वारा जारी 2 मिनट, 23 सेकंड के वीडियो में दिखाया गया है कि कैमरा मंगलवार सुबह 3.45 बजे पाइप के दूसरे छोर तक पहुंचता है। जिसके बाद एक बचावकर्ता ने पाइप में झांक रहे लोगों से पूछा कि क्या वे ठीक हैं। अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने मलबे को काटकर से श्रमिकों को निकालने का रुका हुआ अभियान फिर से शुरू कर दिया है।
जब एक श्रमिक ने अपना हाथ पाइप के अंदर डाला और कैमरा खींच लिया तब एक बचावकर्ता ने कहा, “अगर सब ठीक है, तो कैमरे के सामने अपना चेहरा दिखाएं, अपना हाथ उठाएं और मुस्कुराएं। हम जल्द ही आप तक पहुंचेंगे, चिंता न करें। धीरे-धीरे कैमरा खींचें और सभी को दिखाएं।” सुबह 3.53 बजे, एक बचावकर्ता ने उन्हें कपड़े के टुकड़े का उपयोग करके कैमरा साफ़ करने का निर्देश दिया।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन और सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि ध्यान फिर से वर्टिकल ड्रिलिंग पर है। जैन ने कहा कि सिल्क्यारा में सुबह काम शुरू हुआ और अगर सबकुछ ठीक रहा तो यह दो या ढाई दिन में खत्म हो जाना चाहिए। अधिकारियों ने बताया कि मलबे में डाली गई छह इंच की पाइपलाइन के जरिए श्रमिकों तक एंडोस्कोपिक फ्लैक्सी कैमरा भेजा गया जिससे तड़के मिले वीडियो से उनके सकुशल होने का पता चला। यह कैमरा सोमवार देर शाम दिल्ली से सिलक्यारा लाया गया था।
वीडियो में पीले और सफेद रंग के हेलमेट पहने श्रमिक पाइपलाइन के माध्यम से भेजा गया भोजन प्राप्त करते हुए और एक-दूसरे से बात करते हुए दिखाई देते हैं। एक स्क्रीन पर श्रमिकों को देख रहे अधिकारियों को उन्हें निर्देश देते सुना जा सकता है। अधिकारी उन्हें लेंस साफ करने और उन्हें कैमरे पर देखने को कह रहे हैं।
सुरंग में फंसे श्रमिकों को पाइप के माध्यम से रात के खाने के लिए शाकाहारी पुलाव, मटर-पनीर और मक्खन के साथ चपाती भेजी गई। रसोइया संजीत राणा ने बताया कि डॉक्टर की देखरेख में कम तेल और मसालों के साथ तैयार किए गए रात्रिभोज की आपूर्ति श्रमिकों को 150 पैकेट में की गई। उन्होंने कहा, ‘‘दिन में उन्हें फल भेजे गए थे।’’ अधिकारियों ने कहा कि इससे पहले, सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को छह इंच चौड़े पाइप के माध्यम से सेब, संतरे, मौसमी और केले जैसे फल व इलेक्ट्रॉल जैसी आवश्यक दवाइयां पहुंचाईं गईं।