एक चैनल की खबर : तमिलनाडु सरकार ने मंदिर की जमीन पर माल बनवाया!
एंकर : ये कैसा ‘सेकुलरिज्म’ है? क्या हिंदू कमतर मनुष्य हैं!
सर जी! यही तो असली ‘सेकुलरिज्म’ है!
उसी शाम दूसरे चैनल ने ‘हैशटैग’ किया : कांग्रेस हिंदू-विरोधी है? इसके आगे एंकर ने कहानी खोला कि यह कांग्रेस के एक अंदर वाले का कहना है कि कांग्रेस हिंदू विरोधी है..!
इसके बाद आए कांग्रेस के ‘अंदर वाले’ आचार्य जी के वचन : हमने महसूस किया है कि कांग्रेस में कुछ ऐसे नेता हैं, जिन्हें राम से ही नहीं, राम मंदिर से नफरत है और हिंदू शब्द से भी नफरत है!
एंकर का सवाल : कांग्रेस में कौन-कौन हिंदू विरोधी है?
आचार्य उवाच : एंटनी रपट में लिखा है कि कांग्रेस की छवि ‘हिंदू विरोधी’ हो चली है। एंटनी ईसाई हैं। मैं कांग्रेस में हूं, लेकिन देखता हूं कि कांग्रेस में हिंदू विरोधियों का जमावड़ा होता जा रहा है।
एंकर अचानक आचार्य को कांग्रेस का ‘ट्रोजन हार्स’ कहने लगता है कि आप ‘प्रियंका गांधी’ के नजदीक हैं। कहीं आप यह सब कहकर प्रियंका के अयोध्या के ‘राम मंदिर’ की यात्रा करने की भूमिका तो नहीं बांध रहे!
इन दिनों कुछ चैनल अपनी ‘पसंद’ को नहीं छिपाते। यों भी जब आए दिन कोई न कोई विपक्षी प्रवक्ता सवालों से खिसियाकर उनको ‘सत्ता का दलाल’ कहने लगता है तो वे भी कहां तक सहें!
बहरहाल, इस दीपावली पर अयोध्या में बनता राम मंदिर मुख्य रहा। कई हिंदी चैनल सारे दिन ‘अयोध्यामय’ होते रहे। छोटी दीपावली की शाम सरयू के घाटों पर एक साथ जलाए गए 22.23 लाख दीयों ने एक बार फिर रिकार्ड बनाया।
इसी बीच एक चैनल पर एक विपक्षी वक्ता ने ‘जितनी जिसकी संख्या भारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी’ वाला नया ‘आरक्षण राग’ अलापा। बहस मुड़ी कि ‘मुसलमानों का आरक्षण भी हो…’ तो जवाब आया कि संविधान में धार्मिक आधार पर आरक्षण निषिद्ध है।
फिर एक दिन एक चैनल के एंकर ओवैसी जी पर इस कदर फिदा दिखे कि कह दिए कि ओवैसी बेहद ‘फेंकू स्पीकर’ हैं। उन्होंने ताल ठोंक दिया है कि कांग्रेस के सबसे बड़े नेता वायनाड से हट कर हैदराबाद से चुनाव लड़ कर देख लें।
बहरहाल, इन चुनावों में ‘रेवड़ियों’ की बहार है। एक कह रहे हैं कि हर महिला को साल में पंद्रह हजार रुपए देंगे तो दूसरे कह रहे हैं कि ‘लाडली बहनों’ को ‘लखपती बहना’ बनाएंगे। लगता है, ‘समाजवाद आई तो वाया रेवड़ी आई’! बाकी सब कुछ बेमानी! ‘रेवड़ियों की लूट है, लूटी जाए सो लूट! अंतकाल पछताएगा प्राण जाएंगे छूट!’
इस चुनावी घमासान के आगे इजराइल द्वारा गाजा के अल-शिफा अस्पताल पर कब्जे वाली ‘धांय-धांय’ कहानी हाशिये पर रही। लेकिन दीपावली के दिन एक सपा नेता ने ‘दीपावली पर सर्वपूज्य लक्ष्मी मैया’ के अस्तित्व पर ही सवाल उठाकर खबर बनाने की कोशिश की और तत्काल ही भाजपा से मार खाई। एक अंग्रेजी एंकर ने तो ‘हिंदू भाव’ से भरकर ताल तक ठोंक दी कि अब हिंदू इस तरह की गाली को सहने वाला नहीं है। इसके बाद आए वे अनमोल बोल-कुबोल। एक रैली में एक ‘चीन भक्त जी’ ज्ञान दे दिए कि सब कुछ तो चीन बनाता है।
इसके आगे कांग्रेस की एक नेता ने भाजपा के ‘मामा’ को अभिनय में ‘बच्चन’, कामेडी में ‘असरानी’ कह दिया और एक बड़े पूर्व कांग्रेसी नेता (अब भाजपाई) को ‘गद्दार’, ‘कद छोटा, लेकिन अहंकार बड़ा’ कह कर निजी वार किया, लेकिन जिस पर निशाना साधा, उसने ऐसे निजी कटाक्ष को जवाब देने लायक तक न समझा। सच। चुप रहना भी एक कला है।
सप्ताह की सबसे बडी ‘पलट कहानी’ पूर्व की जेएनयू ब्रांड वाम क्रांतिकारी छात्रा नेता शेहला राशिद की ‘पलटी’ ने बनाई। कई एंकरों ने मजे-मजे में पहले शेहला राशिद का इतिहास दिया कि कुछ वर्ष पहले तक वे जेएनयू की छात्रा-नेता थीं, ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ का हिस्सा थीं, तब उनकी नजर में केंद्र सरकार ‘फासिस्ट’ थी, ‘फ्री स्पीच’ की दुश्मन थी, वे ‘अफजल’ के लिए शर्मिंदा’ थीं।
इनका एक साथी कांग्रेस में है। एक जेल में है और वही आज प्रधानमंत्री और सरकार की तारीफ करती नहीं अघातीं। वे मानती हैं कि अनुच्छेद 370 के बारे में उनको पूरी जानकारी नहीं थी। आज उन्हीं का कहना है कि ‘कश्मीर गाजा नहीं है’, दो तिहाई मुसलिम बिना भेदभाव के ‘प्रधानमंत्री जनधन’ योजना से लाभान्वित हुए हैं, अब कोई तुष्टीकरण नहीं है, ‘आदरणीय प्रधानमंत्री’ सिर्फ राष्ट्रहित के लिए जीते हैं, मोदी बहुत समावेशी हैं।
आखिरी बड़ी कहानी न्यूजीलैंड के सात विकेट चटकाने वाले शमी की ‘जय जयकार’ की रही। लेकिन अफसोस कि विपक्षी दल के एक नेता ने शमी के इस महान योगदान को भी ‘सांप्रदायिक राजनीति’ से लथेड़ दिया! इस तरह की घृणा का असली जहर कुछ खिसियंटे पूर्व पाक खिलाडियों ने ‘पाक चैनलों’ में बोया जो सोशल मीडिया समेत यहां के चैनलों में भी गूंजा, लेकिन समझदार एंकरों व चर्चकों ने शमी को इस ‘वन डे क्रिकेट’ के ‘वर्ल्ड कप’ का ‘दुनिया का सबसे बेहतरीन गेंदबाज’ और एक ‘निर्णायक राष्ट्रीय हीरो’ कह कर ‘नफरतियों’ को निरुत्तरित किया!