दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, हालत ये चल रही है कि अब ग्रैप का चौथा चरण भी लागू कर दिया गया है। दिल्ली के कई इलाकों में हवा काफी ज्यादा जहरीली हो चुकी है, लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। एक्सपर्ट भी अब लोगों को घर से बाहर निकलने से मना कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि आने वाले कई दिनों तक इस धुंध से राहत नहीं मिलने वाली है।
वैसे ग्रैप का जो चौथा चरण लागू किया गया है, इसमें कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। अब दिल्ली में सीएनजी-इलेक्ट्रिक ट्रकों को छोड़कर बाकी सभी दूसरे ट्रकों की एंट्री पर बैन लग जाएगा। इसके अलावा रजिस्टर्ड डीजल गाड़ियों और भारी वाहनों की एंट्री पर कुछ दिनों के लिए रोक रहने वाली है। प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए प्राइमरी स्कूल के अलावा क्लास 6 के ऊपर भी स्कूलों को अब बंद रखा जाएगा।
बड़ी बात ये है कि स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार अब निजी दफ्तरों में 50 फीसदी उपस्थिति का ऐलान भी कर सकती है। वर्क फ्रॉम होम के बारे में भी विचार किया जा रहा है। अब यहां ये समझना जरूरी है कि दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति इतनी ज्यादा विस्फोटक हो चली है कि केंद्र से लेकर राज्य सरकार को अब आपातकालीन कदम उठाने पड़ रहे हैं।
जानकार इस बढ़ते प्रदूषण के कई कारण मान रहे हैं। एक तरफ पंजाब, हरियाणा में जल रही पराली ने तो राजधानी को धुंआ-धुंआ किया ही है, इसके साथ-साथ दिल्ली में लगातार बढ़ते वाहनों ने भी हालत को खराब करने का काम किया है। इसके अलावा राजधानी में जो कंस्ट्रक्शन का काम चलता है, उसने भी स्थिति को बिगाड़ने का काम किया है। Centre for Science and Environment (CSE) की पिछले साल की एक रिपोर्ट बताती है कि राजधानी में जब भी PM2.5 का लेवल ज्यादा रहता है, वहां भी गाड़ियों की वजह से सबसे ज्यादा 17 फीसदी प्रदूषण फैलता है। इसके ऊपर जैसी ट्रैफिक की स्थिति यहां रहती है, वो हालत और ज्यादा विस्फोटक बन जाते हैं।
एक आंकड़ा बताता है कि दिल्ली में कुल 60 फीसदी गाड़ियां ऐसी हैं जिनके पास प्रदूषण का प्रमाण पत्र तक नहीं है, यानी कि वो नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं कर रहीं, इसका किसी को कोई अंदाजा नहीं। माना जा रहा है कि ऐसे वाहन भी बढ़ते प्रदूषण के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं।