करवा चौथ के पर्व पर चांद के दीदार का सयम हो गया है। कोलकाता-शिमला में तो चांद के दीदार व्रती महिलाओं को हो भी गए हैं। यहां ये समझना जरूरी है कि अलग-अलग शहरों में अलग-अलग समय पर लोगों को चांद के दीदार होने जा रहे हैं। वैसे कुछ जगहों पर अगर मुहूर्त के हिसाब से ही लोगों को चांद के दीदार हुए हैं तो कुछ जगहों पर अभी भी इंतजार किया जा रहा है।
दिल्ली – 08 बजकर 15 मिनट, मुंबई- 08 बजकर 59 मिनट, आगरा-08 बजकर 32 मिनट, कोलकाता- 07 बजकर 46 मिनट, पटना- 07 बजकर 51 मिनट, वडोदरा- 08 बजकर 49 मिनट,लखनऊ रात 08 बजकर 05 मिनट,कानपुर रात 08 बजकर 08 मिनट, प्रयागराज रात 08 बजकर 05 मिनट, बनारस रात 08 बजकर 00 मिनट, पुणे रात 08 बजकर 56 मिनट
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल करवा चौथ पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और परिघ योग का निर्माण हो रहा है। बता दें कि सुबह 6 बजकर 32 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग आरंभ हो गया, जो 2 नवंबर को सुबह 4 बजकर 34 मिनट से शुरू हो रहा है। इसके साथ ही दोपहर 2 बजकर 05 मिनट तक परिघ योग रहा। इसके बाद से शिव योग आरंभ हो गया। इसके साथ चंद्रमा आज शाम 4 बजकर 12 मिनट तक वृषभ राशि में रहे। इसके बाद मिथुन राशि में संचार कर गए।
करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद सरगी का सेवन कर लें। इसके बाद देवी-देवता का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प ले लें। करवा चौथ को शाम के सय पूजा करने का विधान है। दिनभर व्रत रखने के बाद शाम के समय पूजा आरंभ करें। एक चौकी में भगवान शिव, पार्वती और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद करवा का चित्र भी रख लें। इसके बाद भगवान शिव को सफेद चंदन, फूल, माला, भोग आदि लगाएं। इसके साथ ही मां पार्वती को सिंदूर, रोली, कुमकुम, चुनरी, सोलह श्रृंगार के साथ गणेश जी की पूजा कर लें। इसके बाद घी का दीपक, धूप जलाकर करवा चौथ व्रत कथा कर लें। इसके बाद मिट्टी या पीतल का टोंटीदार करवा लें। करवा में गेहू, चावल, मिठाई, सिक्का आदि डाल दें। इसके बाद इसे ढक्कन से बंद करके उसमें गेहूं या फिर चावल रख दें। इसके साथ ही टोंटी में कांस की सींक लगा दें। इसके बाद इसकी विधिवत पूजा कर लें।
#WATCH मध्य प्रदेश: करवाचौथ के अवसर पर इंदौर में महिलाओं ने पूजा की। #KarwaChauth pic.twitter.com/ujt5I5CJRO
चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा को पानी से अर्घ्य देने के साथ फूल, माला, सिंदूर, मिठाई, फल चढ़ाने के साथ आरती कर लें। इसके बाद छलनी में दीपक रखकर पहले चंद्रमा को देखें। इसके बाद अपने पति का चेहरा दें। अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें। फिर अपने पति के हाथ से पी लें।