राजधानी दिल्ली एक बार फिर धुंध के साय में आ पहुंची है। हवा इतनी जहरीली हो चली है कि बाहर सड़क पर चलना भी चुनौती साबित हो रहा है। हर साल दिल्ली ऐसी ही धुंध, ऐसी ही जहरीली हवा और ऐसा ही खतरनाक प्रदूषण देखने को मजबूर रहती है। सर्दी जैसे ही अपनी दस्तक देती है, राजधानी में लोगों की सांसों का जाम लग जाता है। एक बार फिर वैसी ही स्थिति बनती दिख रही है, पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आ पहुंचा है। कुछ जगहों पर तो ‘खतरनाक’ स्तर भी छू दिया गया है।
वर्तमान में दिल्ली का AQI लेवल 300 से ज्यादा चल रहा है। आने वाले दिनों का प्रिडिक्शन और ज्यादा खतरनाक है, दिवाली आते-आते सांसों का जाम और ज्यादा लंबा होने जा रहा है। अब दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कई कारण माने जा रहे हैं, पराली का जलना तो सबसे आम बताया जा रहा है। इसके अलावा कंस्ट्रक्शन का काम, पटाखों का फूटना भी कुछ कारणों में गिना जाता है। लेकिन इसके अलावा दिल्ली की हवा को धुंआ करने में एक और अहम फैक्टर है जिसे नजरअंदाज कर दिया जाता है।
असल में राजधानी दिल्ली में ट्रैफिक एक पुरानी और जटिल समस्या है। घंटों ट्रैफिक में फंसे रहना एक मिडिल क्लास की जिंदगी के साथ जुड़ चुका है। अब एक आम आदमी का तो इस ट्रैफिक की वजह से बस समय बर्बाद होता है, ज्यादा से ज्यादा वो देर से ऑफिस या घर पहुंचता है। लेकिन इस बात का अहसास शायद अभी तक नहीं हो पा रहा है कि यही ट्रैफिक बढ़ते प्रदूषण का भी एक कारण बन रहा है। असल में जब भी कोई गाड़ी चलती है, उससे हानिकारक गैस निकलती हैं जिसे तकनीकी शब्दों में vehicular emission कहा जाता है। अब होता ये है कि ट्रैफिक के समय गाड़ी की रफ्तार और धीमी हो जाती है, लोगों की जैसी आदत है, वे अपनी कार उस समय ऑफ भी नहीं करते। ऐसे में लगातार गाड़ियों से हानिकारक गैस निकलती रहती हैं, जिससे वातावरण में नाइट्रोजन की लेवल बढ़ जाती है। ये नाइट्रोजन ही बाद में प्रदूषण को और ज्यादा बढ़ाने का काम करता है।
इसी कड़ी में Centre for Science and Environment (CSE) की पिछले साल की एक रिपोर्ट बताती है कि राजधानी में जब भी PM2.5 का लेवल ज्यादा रहता है, वहां भी गाड़ियों की वजह से सबसे ज्यादा 17 फीसदी प्रदूषण फैलता है। इसके ऊपर जैसी ट्रैफिक की स्थिति यहां रहती है, वो हालत और ज्यादा विस्फोटक बन जाते हैं। अब कहने को कुछ पाबंदियां जरूर लगाई गई हैं, कई तरह के वाहनों को एंट्री नहीं दी जाती है, लेकिन सवाल ये आखिर जमीन पर कितनी सख्ती है, आखिर कितनी गाड़ियों की जांच सरकार कर पाती है?
एक आंकड़ा बताता है कि दिल्ली में कुल 60 फीसदी गाड़ियां ऐसी हैं जिनके पास प्रदूषण का प्रमाण पत्र तक नहीं है, यानी कि वो नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं कर रहीं, इसका किसी को कोई अंदाजा नहीं। माना जा रहा है कि ऐसे वाहन भी बढ़ते प्रदूषण के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं। जानकार मानते हैं कि अगर सभी गाड़ियों की चेकिंग सही तरह से होनी है तो उसके लिए एक बड़ी टीम की जरूरत पड़ेगी जो अभी मौजूद ही नहीं है, ऐसे में जांच के नाम सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। यहां ये समझना भी जरूरी है कि दिल्ली में ऐसा नहीं है कि हर जगह जाम लग रहा हो, कुछ ऐसे इलाके हैं जहां पर पिछले कई सालों से स्थिति जस की तस बनी हुई है।
कुछ महीने पहले ही दिल्ली पुलिस ने पूरी राजधानी में 177 ऐसे प्वाइंट चिन्हित किए थे जहां पर सबसे ज्यादा जाम लगता है। इसके अलावा 10 फ्लाइओवर भी ऐसे सामने आए थे जो कहने को ट्रैफिक कम करने के लिए बनाए गए, लेकिन वहां भी लंबे जाम देखने को मिल रहे हैं। गीता कॉलोनी फ्लाईओवर पुश्ता रोड, आजादपुर चौक फ्लाईओवर, रानी झांसी फ्लाईओवर पर तो सबसे ज्यादा लंबे जाम लगातार लग रहे हैं।इसके ऊपर जगह-जगह हो रही कंस्ट्रक्शन, अतिक्रमण ने भी ट्रैफिक को बढ़ाने का काम किया है। जितना ये ट्रैफिक बढ़ता जाता है, राजधानी की हवा में उतना ही जहरीला धुंआ भी घुलता रहता है।
अब ट्रैफिक जाम अपने आप में एक बड़ी समस्या है, लेकिन उसका कनेक्शन सीधे-सीधे बढ़ती गाड़ियों से भी है। सड़कें कितनी भी अच्छी बन जाएं, अगर जरूरत से ज्यादा वाहन वहां दौड़ेंगे तो जाम लगना लाजिमी रहने वाला है। पूरे देश में ही गाड़ी रखने वाले परिवारों की संख्या में तेज इजाफा देखने को मिला है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) का आंकड़ा बताता है कि देश के 7.5 फीसदी लोगों के पास अपनी खुद की गाड़ी है। 50 फीसदी के करीब ऐसे लोग हैं जिनके पास दो पहिया वाहन हैं। दिल्ली की बात की जाए तो यहां तो हर 100 में से 20 लोगों के पास अपनी गाड़ी है। आंकड़ों में बोले तो 19.4 प्रतिशत लोगों के पास राजधानी में गाड़ी है।
अब राजधानी में हो ये रहा है कि सड़कों का जाल तो तेजी से बिछाया जा रहा है, लेकिन उन्हीं सड़कों पर गाड़ी की संख्या भी फुल स्पीड से बढ़ रही है। इसी वजह से ट्रैफिक की समस्या भी कम होने के बजाय बढ़ती चली गई है।