Delhi Excise Policy Case: दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। जिसके बाद बीजेपी ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि अगर आप सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी देखें तो सिर्फ जमानत याचिका ही खारिज नहीं हुई है, बल्कि 338 करोड़ रुपये भी स्थापित होते हुए दिख गए। यानी जब वो (अरविंद केजरीवाल) पैसे (मनी ट्रेल) की बात करते थे, वो आज लीगली स्थापित होती हुई दिख रही है।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ‘अब यह सिर्फ आरोप नहीं है, बल्कि इसमें संख्यात्मक स्थिति भी साफ है। अब अरविंद केजरीवाल सरकार को अदालत में बताना होगा कि पैसा कहां है?। बीजेपी सांसद ने कहा कि पैसा मीडिया की रिपोर्ट में नहीं बताया जाता, पैसा जांच एजेंसी अदालत के सामने बताती है। न्यायालय के सामने उपस्थित साक्ष्यों के माध्यम से यह पैसा उजागर हो रहा है। बीजेपी सांसद ने कहा कि अब मुझे लगता है कि केजरीवाल की सरकार को बताना पड़ेगा कि पैसा कहां है?
इतना ही नहीं भाजपा सांसद ने केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा, ‘कतई ईमानदारी के किरदार के जो भारत रत्न के प्रत्याशी थे। बकौल केजरीवाल साहब! सुधांशु त्रिवेदी ने स्पष्ट करते हुआ कहा कि केजरीवाल ने यह बात मनीष सिसोदिया के लिए कही थी। सुधांशु ने कहा कि अब केजरीवाल के जितने भी जवाहारात हैं, वो इस वक्त हवालात में हैं।
बता दें, शराब घोटाला मामले में मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से जमानत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, ‘इस मामले में 338 करोड़ रुपये की मनी ट्रेल अस्थायी रूप से साबित हुई है। साथ ही कहा कि छह से आठ महीने में ट्रायल पूरा हो। अगर छह से आट महीने में ट्रायल पूरा नहीं होता, तो मनीष सिसोदिया दोबारा जमानत की याचिका दाखिल कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी ने हमारे ज्यादातर सवालों का उचित जवाब नहीं दिया।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस. वी. एन भट्टी ने यह फैसला सुनाया। पीठ ने दोनों याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने 17 अक्टूबर को ईडी से कहा था कि अगर दिल्ली आबकारी पॉलिसी में बदलाव के लिए कथित तौर पर दी गई रिश्वत ‘अपराध से आय’ का हिस्सा नहीं है तो संघीय एजेंसी के लिए सिसोदिया के खिलाफ धनशोधन का आरोप साबित करना कठिन होगा।