पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने डिप्लोमेटिक केबल लीक मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पर सोमवार को आरोप तय किए। इमरान खान को पिछले साल मार्च में दर्ज मामले में इस साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था। ये मामला वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास की तरफ से भेजे गए एक गुप्त राजनयिक केबल को लीक करके आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन करने से जुड़ा है। इमरान ने इस दस्तावेज का इस्तेमाल यह बताने के लिए किया था कि उनकी सरकार एक विदेशी साजिश के चलते गिरा दी गई थी।
एफआईए ने इमरान और कुरैशी के खिलाफ 30 सितंबर को आरोप पत्र पेश किया था। अदालत पहले 17 अक्टूबर को इमरान पर आरोप तय करने वाली थी। लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री के वकीलों ने कहा कि उन्हें आरोपपत्र की प्रतियां उपलब्ध नहीं कराई गई हैं। उनकी इस आपत्ति के बाद प्रक्रिया में देरी हुई। इमरान तोशाखाना मामले में लाहौर से गिरफ्तार किए जाने और 29 अगस्त को जमानत मिलने के बावजूद केबल मामले की वजह से जेल में बंद हैं। पिछले साल अप्रैल में सत्ता से बेदखल होने के बाद उनके खिलाफ 150 से ज्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
स्पेशल जज अबुल हसनत जुल्करनैन ने रावलपिंडी की अदियाला जेल में मामले की सुनवाई की। आरोप तय किए जाने के बाद विशेष अदालत ने कार्यवाही 27 अक्टूबर तक के लिए टाल दी। अब वह औपचारिक रूप से मामले की सुनवाई शुरू करेगी। इमरान के वकील उमैर नियाजी ने कहा कि उनके मुवक्किल ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया है। आदेश को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
नियाजी ने कहा कि इमरान ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इमरान के खिलाफ साजिश रची गई थी। इसी वजह से उनकी सरकार गिरा दी गई। वकील ने कहा कि जिस बैठक पर सवाल उठाए जा रहे हैं, उसका कोई ब्योरा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि इमरान खान और कुरैशी ने कोर्ट से कहा कि वो मामले से जुड़े सभी दस्तावेज देखने के बाद ही अपना पक्ष रखेंगे।