गगनयान मिशन के लिए पहली टेस्ट फ्लाइट को इसरो ने सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। इसरो ने रविवार सुबह 10 बजे श्री हरी कोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गगनयान के क्रू मॉड्यूल को लॉन्च किया। इसे टेस्ट व्हीकल डेवलपमेंट फ्लाइट भी कहा जा रहा है।
पहले इसे सुबह 8:45 बजे लॉन्च किया जाना था और उसके लिए काउंटडाउन भी शुरू हुआ था। लेकिन 5 सेकंड बचे ही थे कि काउंटडाउन रुक गया और मिशन होल्ड पर चला गया। इसके बाद इसे 10 बजे के लिए री – शेड्यूल किया गया और फिर इसे सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
गगनयान मिशन का लक्ष्य 2025 में तीन दिवसीय मिशन के तहत मनुष्य को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और उसके बाद उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। क्रू मॉड्यूल के अंदर ही भारतीय अंतरिक्ष यात्री बैठकर धरती के चारों तरफ 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे।
‘क्रू मॉड्यूल’ रॉकेट में पेलोड है, और यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे वातावरण के साथ रहने योग्य जगह है। इसमें एक दबावयुक्त धात्विक ‘आंतरिक संरचना’ और ‘थर्मल सुरक्षा प्रणालियों’ के साथ एक बिना दबाव वाली ‘बाहरी संरचना’ शामिल है। शनिवार को पहली परीक्षण उड़ान के दौरान ‘क्रू मॉड्यूल’ में लगी विभिन्न प्रणालियों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए डेटा प्राप्त किया जाएगा, जिससे वैज्ञानिकों को यान के प्रदर्शन की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
आज हुए टेस्ट उड़ान की सफलता के बाद गगनयान मिशन के आगे की सारी प्लानिंग तैयार की जाएगी। इसके बाद एक अगले साल एक और टेस्ट फ्लाइट होगी, जिसमें ह्यूमेनॉयड रोबोट व्योममित्र को भेजा जाएगा। अबॉर्ट टेस्ट का मतलब होता है कि अगर कोई दिक्कत हो तो एस्ट्रोनॉट के साथ ये मॉड्यूल उन्हें सुरक्षित नीचे ले आए।
क्रू मॉड्यूल को बंगाली की खाड़ी में गिराया गया। वहां पर पहले से मौजूद नौसेना की टीम बोट्स की मदद से क्रू मॉड्यूल तक पहुंच गई है। क्रू मॉड्यूल को रिकवर कर लिया गया है। अब इसे नेवी की टीम इसरो के वैज्ञानिकों को सौंपेगी। इसरो की टीम इस क्रू मॉड्यूल की स्टडी कर निष्कर्षों के आधार पर आगे की प्लानिंग तय करेगी।