सपा नेता आजम खान का सियासी करियर कई मायनों में ऐतिहासिक, बेमिसाल और कई रिकॉर्ड तोड़ने वाला साबित हुआ है। यूपी की सियासत में जब तक समाजवादी पार्टी की सरकार रही, आजम का सियासी ग्राफ तेज गति से बढ़ता गया। आलम ये रहता था कि रामपुर में ही पूरी कैबिनेट की बैठकी लग जाती थी, उनके इशारों पर सरकारें काम किया करती थीं। लेकिन ये इतिहास है और वर्तमान आजम खान के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं।
आजम खान, उनकी पत्नी फातिमा और बेटे अब्दुल्ला को सात साल की सजा सुना दी गई है। एक बार फिर पूरा आजम परिवार जेल की सलाकों के पीछे बैठा है। इस बार मामला बेटे के फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट से जुड़ा हुआ है जहां पर सारे नियमों को ताक पर रखतर अब्दुल्ला की उम्र ज्यादा बताने का काम किया गया। इसी वजह से साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान अब्दुल्ला विधायकी का चुनाव लड़ पाए। उस समय जो प्रमाण पत्र दिए गए थे, उसके मुताबिक अब्दुल्ला का जन्म 1990 में हुआ था, जबकि असल में उनकी पैदाइश 1993 की रही।
अब उसी मामले में तीनों आजम, उनकी पत्नी और बेटे को दोषी पाया गया है और सात साल की सजा हुई है। वैसे जब से उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी है, आजम खान का सियासी पतन शुरू हो चुका है। इससे पहले भी कई मामलों में उन्हें सजा हो चुकी है। हेट स्पीच का मामला रहा हो या हो रोड ब्लॉक करने का 15 साल पुराना केस, लगातार सपा नेता को झटके लगे हैं।
स्थानीय लोग भी बताते हैं कि समय के साथ आजम खान का रुतबा पूरी तरह खत्म सा हो गया है। जिस नेता के घर पर ही पहले नेताओं की मंडली जमा हुआ करती थी, अब वहां इक्का-दुक्का नेता ही दिखाई पड़ते हैं। ये बदलाव बताने के लिए काफी है कि आजम खान की सियासत समय के साथ फीकी होती चली गई है। अब तो आलम ये है कि जेल में भी आजम खान की रातें सुकून के साथ नहीं गुजर रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वे खुद अशांत है और लगातार अपनी पत्नी की सेहत को लेकर चिंतित रहते हैं।