इजरायल और फिलिस्तीन के बीच में पिछले 12 दिनों से भीषण युद्ध जारी है। हर बीतते दिन के साथ जमीन पर स्थिति और ज्यादा विस्फोटक बनती जा रही है। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन अपनी पूरी ताकत और विश्वास के साथ इजरायल के दौरे पर पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि उनकी लिस्ट में दोनों पक्षों को साथ बैठाकर मीटिंग करना था, यानी कि वे दुनिया के सामने एक सफल मध्यस्त की भूमिका निभाना चाहते थे।
अब जैसा जो बाइडेन ने सोचा, जमीन पर ऐसा कुछ भी होता नहीं दिखा। मध्यस्थता तो दूर की बात है, बाइडेन के इजरायल छोड़ते ही दो बड़े रॉकेट हमलों को लेकर रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। ऐसे में ये युद्ध आने वाले दिनों में और विनाशकारी रूप भी ले सकता है। चिंता की बात ये भी है कि इजरायल किसी भी कीमत पर अपने कदम पीछे खींचने को तैयार नहीं है। गाजा पर वो सिर्फ हमला नहीं कर रहा है, बल्कि कब्जे की मंशा से तेज गति से आगे भी बढ़ रहा है।
इस समय गाजा के पास में ही तीन लाख की करीब संख्या में इजरायल के सैनिक खड़े हुए हैं। किसी भी वक्त उनकी गाजा में एंट्री संभव मानी जा रही है। लेकिन हमास की जैसी रणनीति है, उसको देखते हुए इजरायल का गाजा पट्टी में दाखिल होना आत्मघाती भी साबित हो सकता है। जानकार बताते हैं कि हमास ने जगह-जगह जमीन पर बारूदी सुरंग का जाल बिछा रखा है। ये इतना खतरनाक है कि कदम रखते ही कई जिंदगियां एक बार में स्वाहा हो सकती हैं।
अब इस स्थिति और तनाव के बीच में ही राष्ट्रपति बाइडेन इजरायल आए थे। उनका मकसद कई पड़ोसी देशों से मुलाकात करने से लेकर युद्ध को रोकने तक के लिए सफल कदम उठाना था। लेकिन अब जब ये दौरा समाप्त हो चुका है, किसी भी दिशा में सफलता मिलती नहीं दिखी है। इसके ऊपर अमेरिका को बड़े स्तर पर सियासी शर्मिंदगी का भी सामना करना पड़ा है। ये सियासी शर्मिंदगी इसलिए है क्योंकि सामने से ही जार्डन के किंग अब्दुल्ला 2, फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सिसी ने बाइडेन से मिलने से भी मना कर दिया।
इस बात को समझना बहुत जरूरी हो जाता है। यहां बात अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की हो रही है जो सबसे ताकतवर लोकतंत्र का नेतृत्व करते हैं। लेकिन उनकी ऐसी कूटनीति देखने को मिली कि सामने से ही कई देशों के नेताओं ने उनसे मुलाकात करने से भी मना कर दिया। इसी वजह से सिर्फ इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू से मिल उन्हें वापस जाना पड़ा। इस समय गाजा के अस्पताल में जो रॉकेट से हमला हुआ है, कई देश इजरायल के खिलाफ हो चुके हैं, अम्मान और बेरूत जैसे देशों में तो प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। सरल शब्दों में कहें तो उन देशों में इजरायल की छवि और ज्यादा कमजोर पड़ चुकी है।
उस बीच राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जिस तरह से पहले नेतन्याहू को क्लीन चिट दी और उसके ऊपर युद्ध में पूरी तरह इजरायल का पक्ष लिया, जमीन पर स्थिति और ज्यादा तनावपूर्ण बन चुकी है। एक तरफ अमेरिका को नागरिकों की जान की परवाह दिख रही है तो वहीं दूसरी तरफ लगातार इजरायल की कार्रवाई को पूरी तरह सही बताने में भी देर नहीं की जा रही। ऐसे में एक ही समय में जो बाइडेन दो नाव में सवार दिख रहे हैं। लेकिन इस वजह से उनकी मिडिल ईस्ट पॉलिसी सवालों के घेरे में आ गई है। इसके ऊपर अभी युद्ध में ईरान की भूमिका ने भी अमेरिका के लिए बड़ी चिंता खड़ी कर दी है।