हजारों यहूदी अपने ‘राष्ट्रीय पर्व’ के दिन एक ‘म्यूजिक फेस्टिवल’ का आयोजन कर, नाच-गान व खानपान में मस्त थे कि आतंकवादी संगठन ‘हमास’ के आतंकी जरा-सी देर में ताबड़तोड़ गति से पांच हजार बम बरसा देते हैं और छापामार तरीके से इस इलाके में घुस कर उन पर हमला कर देते हैं। वे जान बचाकर भागते यहूदियों को गोलियों से भूनने लगते हैं, सैकड़ों को कैदी बना लेते हैं। देखते-देखते सारी खबर चैनलें हमास के आतंकी हमले की खबरों से भर जाती हैं। ‘जाति गणना की मांग’ या ‘पांच राज्यों के चुनावों की तिथियों की घोषणा’ दोयम हो जाती हैं।
आतंकवाद की ऐसी बर्बर कहानी पहले कभी बनी भी नहीं। एक युद्ध विशेषज्ञ कहता है कि यह भूमंडलीय आतंकवाद का नया प्रयोग है।
जरा देखें, पहले अचानक हमला कर जश्न मनाते निर्दाेष लोगों को बमों और गोलियों से भूनना और अपने इन कारनामों के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर लाइव दिखाना। साथ ही फिलिस्तीनियों का ‘जश्न’ मनाते दिखाना, ‘हमासी आतंकवाद’ की नृशंसता के इतिहास में एक नया खूनी पन्ना जोड़ता है और फिलिस्तीनियों के प्रति हमदर्दी को भी खत्म कर देता है।
‘हमासी आतंकवाद’ की रणनीति है- पहले मारो और जब कोई पलट कर मारे तो अपने पक्षधरों से कहलवाओ कि हम तो पीड़ित हैं! ये अपनी बर्बरता छिपाने की जगह फेसबुक पर सीधा प्रसारण करते है, ताकि दर्शकों के दिलों में उनकी खूंखारियत का डर पैदा हो। एक एंकर इसे ‘बर्बरता का सेलिब्रेशन’ कहता है! फिर भी, चैनलों की बहसों में ऐसे बर्बर आतंकी संगठन के भी कई ‘वकील’ हाजिर हो जाते हैं। आतंकी हमले की इस कहानी का एक दिन ‘हमास’ के नाम रहा तो अगले छह दिन इजराइल के जवाबी हमले के नाम रहे।
इजराइल ने गाजा पट्टी में छिपे सभी ‘हमासी आतंकियों’ को ‘साफ’ करने और उनको ‘कभी न भूलने वाला सबक सिखाने’ के लिए ताबड़तोड़ छह हजार बम गिराए। सैकड़ों टैंक और तीन लाख इजराइली सैनिक गाजा पट्टी से ‘हमासी आतंकियों’ को साफ करने के लिए कूच करते दिखते रहे। चैनलों पर ‘हमासी बर्बरता’ के वीडियो आते रहे। हम किस वीडियो की बात करें और किसकी न करें :