इजरायल पर हमास के हमले और फिर पलटवार के बीच सऊदी अरब और ईरान के राष्ट्राध्यक्षों ने फोन पर बात की। दोनों ने फिलीस्तीन के खिलाफ वार क्राईम को समाप्त करने की मांग की। दोनों ही देशों की तरफ से इस बात की पुष्टि हुई है कि मौजूदा संकट को लेकर दोनों में बात हुई है।
सऊदी और ईरान एक दूसरे के कट्टर दुश्मन थे। दोनों के बीच शांति बहाल कराने का काम चीन ने किया। सऊदी- ईरान के बीच डील में जिनपिंग खुद शामिल हुए थे। उन्होंने पहले सऊदी अरब के क्राऊन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से बात की और फिर ईरान के तानाशाह इब्राहिम रईसी से उनकी बातचीत हुई। इस समझौते से अमेरिका भी सकपका गया था।
ये पहली बार था जब चीन ने इस तरह का काम किया। इससे पहले इस तरह की कवायद या तो अमेरिका करता था या फिर रूस। इस समझौते के बाद वैश्विक स्तर पर संदेश गया कि रूस के बजाए अमेरिका को चीन से ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। सऊदी और ईरान के बीच में सुलह कराकर चीन ने अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती दी थी। जिनपिंग ने दुनिया को बता दिया कि वो अब किसी भी मसले पर एक्टिव हो सकते हैं।
चीन की पहल का ही नतीजा रहा कि इजरायल हमास के संकट में सऊदी अरब और ईरान एक सी भाषा बोल रहे हैं। ईरान की स्टेट मीडिया ने दोनों के बीच की बातचीत की पुष्टि करते हुए कहा कि मौजूदा संकट पर दोनों नेताओं ने वार्ता कर फिलीस्तीन के खिलाफ वार क्राईम रोके जाने की वकालत की। उधर सऊदी अरब ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि दोनों के बीच बातचीत सार्थक रही। सऊदी की स्टेट न्यूज एजेंसी ने कहा कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा है कि वो दुनिया के तमाम देशों से संपर्क करके इस संघर्ष को खत्म कराने की कोशिश में है। सलमान चाहते हैं कि किसी भी तरह से इस लड़ाई को रोका जाए, क्योंकि सैन्य संघर्ष का खामियाजा भोलीभाली जनता को भुगतना पड़ रहा है।