पंजाब सरकार ने दो दिन का असेंबली सेशन बुलाया है। 20 और 21 अक्टूबर को सेशन एसवाईएल के मसले पर विचार करेगा। यह निर्णय राज्य मंत्रिमंडल के उस बयान के कुछ दिन बाद लिया गया है जिसमें कहा गया था कि पंजाब के पास हरियाणा के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है। ऐसे में राज्य में एसवाईएल नहर के निर्माण का कोई सवाल ही नहीं उठता।
पंजाब विधानसभा सचिवालय ने एक नोटिस जारी करके 20 अक्टूबर को सुबह 11 बजे सेशन बुलाया गया है। इसमें एसवाईएल नहर के अलावा कुछ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। एसवाईएल मुद्दे पर आप सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है। उनका कहना है कि राज्य सरकार ने शीर्ष कोर्ट के सामने यह कहकर अपना पक्ष कमजोर कर दिया कि राज्य सरकार नहर बनाने के लिए तैयार थी। लेकिन विपक्षी दल और किसान इसकी अनुमति नहीं दे रहे हैं।
एसवाईएल का निर्माण रावी और ब्यास नदियों से पानी को बांटने के लिए किया जाना है। योजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर बननी है, जिसमें से 122 किलोमीटर का हिस्सा पंजाब में और बाकी 92 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा में बनाया जाना था। हरियाणा ने अपने क्षेत्र में नहर बना ली है। अलबत्ता पंजाब इसका निर्माण करने से कतरा रहा है। पंजाब की असेंबली अदालत के एक फैसले के विरोध में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर चुकी है कि वो पानी हरियाणा को नहीं देगा। सरकार चाहे कांग्रेस की हो या बीजेपी और अकालियों की। हमेशा से कहा गया कि एसवाईएल नहीं बनेगी। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।
कोर्ट ने चार अक्टूबर को केंद्र से कहा था कि वह पंजाब में जमीन के उस हिस्से का सर्वे करे, जो राज्य में एसवाईएल नहर के हिस्से के निर्माण के लिए अलाट किया गया था। उसके बाद पंजाब में सियासी भूचाल आ गया था। विपक्षी सरकार पर हमलावर थे।