Israel-Hamas Conflict in Hindi: हमास द्वारा शनिवार को इजराइल पर किए गए हमलों ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। लेबनान का आतंकी गुट हिज्बुल्ला ने भी हमास का साथ देते हुए इजराइल के कब्जे वाले गोलन हाइट्स से सटे इलाकों पर राकेट बरसाए। इन हमलों से उन घातक संघर्षों की याद ताजा हो गई, जिनके साए में पूरी पीढ़ी पलती रही। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष दशकों से जारी है। इस साल कई मौकों पर इजरायली बलों ने फिलिस्तीनी शहर जेनिन पर छापे मारे। जनवरी में एक फिलिस्तीनी व्यक्ति ने पूर्वी यरुशलम में यहूदी उपासनागृह में सात लोगों की हत्या कर दी थी।
2022 में इजराइल के शहरों में आतंकवादी हमलों के बाद, इजराइली बलों ने अपने कब्जे वाले पश्चिमी तट के इलाकों में 166 फिलिस्तीनियों को मार डाला।
मई 2021 में, इजराइली पुलिस ने येरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद पर छापा मारा। इसके बाद इजराइल और हमास के बीच 11 दिनों तक युद्ध चला, जिसमें दो सौ से अधिक फिलिस्तीनी ,10 से अधिक इजराइली मारे गए।
2018 में, कम से कम 170 फिलिस्तीनी मारे गए। इजराइल ने गाजा और इजराइल को अलग करने वाली बाड़बंदी विरोध में चल रहे प्रदर्शनों को लेकर प्रतिक्रिया जताई थी।
2014 में, हमास ने तीन इजराइली किशोरों का अपहरण कर लिया और उनकी हत्या कर दी। इसके बाद इजराइल ने हमले किए, गाजा से राकेट दागे गए। संघर्ष में 1,881 से अधिक फिलिस्तीनी और 60 से अधिक इजराइली मारे गए।
नवंबर 2012 में, इजराइल ने हमास के सैन्य प्रमुख अहमद अल-जबारी को मार डाला, जिसके बाद एक सप्ताह से अधिक समय तक गोलीबारी चली। 150 से अधिक फिलिस्तीनी और कम से कम छह इजरायली मारे गए।
जनवरी 2009 में, इजराइल और फिलिस्तीनी समूहों ने एकतरफा संघर्ष विराम की घोषणा की, फिर इजराइल गाजा से हट गया और गाजा पट्टी की परिधि में दोबारा तैनात हो गया।
दिसंबर 2008 में गाजा से राकेट दागे जाने के जवाब में, इजराइल ने हमास के ठिकानों पर हमला किया, जिसमें 200 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई। कुछ ही समय बाद, उसने हमास के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया। कुल मिलाकर, 1,200 फिलिस्तीनी और 13 इजरायली मारे गए।
जनवरी 2006 में, अर्धसैनिक संगठन फतह के सह-संस्थापक फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात की मृत्यु के लगभग एक साल बाद, हमास ने फिलिस्तीनी संसदीय चुनाव जीता। एक साल बाद, हमास ने फतह बलों को हटाते हुए गाजा पर नियंत्रण कर लिया।
सितंबर 2005 में, इजराइली सैनिकों गाजा से बाहर निकल गए, लेकिन गाजा पट्टी के अंदर आने और बाहर जाने वाले फिलिस्तीनियों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने के लिए इजराइल को आलोचना का सामना करना पड़ा।
सितंबर 2000 में, कैंप डेविड में इजराइल और फिलिस्तीनियों के बीच वार्ता में गतिरोध के कुछ महीने बाद, दूसरा इंतिफादा शुरू हुआ, जिसमें फिलिस्तीनी युवाओं ने इजराइस की पुलिस पर पत्थर फेंके। इजराइल से लड़ने की तैयारी के कारण फिलिस्तीनी क्षेत्रों के भीतर हमास के लिए समर्थन बढ़ता रहा।
1997 में, दो आत्मघाती बम हमलों में 27 लोग मारे गए। इजरायल के तब के प्रधानमंत्री शिमोन पेरेज ने कहा कि वह हमास से अनवरत युद्ध करेंगे।
1993 में, अराफात ने इजराइल के साथ ओस्लो समझौते पर हस्ताक्षर किए और दो-राज्य समाधान के आधार पर संघर्ष के अंत के लिए बातचीत की प्रतिबद्धता जताई। समझौते का विरोध करने वाले हमास ने इजराइल में आत्मघाती बम विस्फोटों की एक शृंखला शुरू कर दी।
दिसंबर 1987 में, पश्चिमी तट और गाजा में रहने वाले फिलिस्तीनियों ने इजराइल के खिलाफ पहला इंतिफादा शुरू किया। मुस्लिम ब्रदरहुड के सदस्यों ने हमास की स्थापना की।
26 मार्च, 1979 को, मिस्र और इजराइल ने वाइट हाउस में एक शांति संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसके कारण इजराइल सिनाई प्रायद्वीप से पूरी तरह से हट गया। दोनों देश कब्जे वाले क्षेत्रों में रहने वाले फिलिस्तीनियों के लिए स्व-शासन की अनुमति देने के लिए एक समझौते की रूपरेखा पर सहमत हुए, लेकिन इजराइल ने योजना को खारिज कर दिया।
अक्तूबर 1973 में योम किप्पुर पर, मिस्र और सीरिया के हमलावर बलों ने इजराइल को अरब देशों के लिए बेहतर शर्तों पर बातचीत करने के लिए मनाने की कोशिश की। 19 दिनों तक चले युद्ध में लगभग 2,700 इजरायली सैनिक मारे गए थे और हजारों घायल हो गए थे।
जून 1967 में, छह दिवसीय युद्ध के दौरान, इजराइल ने गाजा पट्टी और सिनाई प्रायद्वीप पर नियंत्रण हासिल किया।
जनवरी 1957 में, इजराइल गाजा पट्टी और अकाबा की खाड़ी के क्षेत्र को छोड़कर, मिस्र की भूमि से हट गया, यह तर्क देते हुए कि गाजा कभी मिस्र से संबंधित नहीं थी।
अक्तूबर 1956 में, मिस्र के राष्ट्रपति द्वारा स्वेज नहर जलमार्ग का राष्ट्रीयकरण करने के कुछ महीने बाद, इजराइल के समुद्री मार्ग बंद कर दिए। तब इजराइल ने सिनाई प्रायद्वीप और गाजा पट्टी पर आक्रमण किया। 1949 में, इजराइल के नव निर्मित राज्य ने अरब देशों के साथ संघर्ष विराम की एक शृंखला पर हस्ताक्षर किए, जिन्होंने इसके खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी। 1949 के समझौतों के तहत, गाजा पट्टी मिस्र के नियंत्रण में थी।