भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उम्मीद जताई है अगले दस या बीस वर्षों में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में महिला न्यायाधीशों की संख्या बढ़ जाएगी। शुक्रवार को अपने कोर्ट रूप में उन्होंने महाराष्ट्र के 75 नये न्यायिक अधिकारियों से मुलाकात की। इन न्यायिक अधिकारियों में 42 महिलाएं थीं। सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि एक या दो दशक में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की आधी जज महिलाएं हो सकती हैं। कहा कि पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान न्यायपालिका में लैंगिक समानता के लिए यह “बदलते समय का संकेत” है।
सीजेआई ने न्यायिक कार्य शुरू करने से पहले कहा, “यह अब पूरे देश में न्यायिक अधिकारियों की भर्ती में एक चलन है। मुझे सभी को यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि महाराष्ट्र से अदालत कक्ष में मौजूद और सुप्रीम कोर्ट का दौरा करने वाले नए बैच के 75 न्यायिक अधिकारियों में से 42 महिलाएं हैं। पांच सीधी भर्ती वाले जिला न्यायाधीश हैं, जिनमें से दो महिलाएं हैं।”
ट्रायल कोर्ट में न्यायिक अधिकारियों के बीच 35 फीसदी महिलाओं का होना एक अच्छा संकेत है। सीजेआई ने संकेत दिया, हाल के दिनों में न्यायिक अधिकारियों की भर्ती से महिलाओं की संख्या अधिक होने का एक स्वस्थ रुझान सामने आया है।
सीजेआई ने कहा, “जैसा कि लैंगिक समानता जिला अदालतों में मजबूती से जड़ें जमा रही है, मुझे यकीन है कि एक या दो दशक में संवैधानिक अदालतों में महिलाओं का समान प्रतिनिधित्व देखा जाएगा।”
फिलहाल देश के 25 हाईकोर्ट में एक में भी महिला मुख्य न्यायाधीश नहीं हैं। हाईकोर्ट के 780 न्यायाधीशों में से केवल 13 फीसदी महिलाएं हैं। सुप्रीम कोर्ट के 32 न्यायाधीशों में सिर्फ तीन महिलाएं हैं। उनमें से एक जस्टिस बीवी नागरत्ना 2027 में भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश होंगी। वह सिर्फ 36 दिनों तक इस पद पर रहेंगी।