पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह 2 अक्टूबर को हरियाणा के जींद में भाजपा के झंडे या बैनर के बिना रैली करेंगे। पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे रैली में सिर्फ राष्ट्रीय ध्वज लेकर आएं। रैली को ‘मेरी आवाज सुनो’ नाम दिया गया है और आधिकारिक आयोजक ‘बीरेंद्र सिंह के साथी’ (बीरेंद्र सिंह के मित्र) हैं।
बीरेंद्र सिंह के करीबी सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनकी छवि को “जनता के नेता” के रूप में मजबूत करने के लिए रैली हो रही है। भीम आर्मी प्रमुख चंद्र शेखर आज़ाद और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता युद्धवीर सिंह को भी रैली में आमंत्रित किया गया है। बीरेंद्र सिंह एकमात्र प्रमुख भाजपा नेता थे, जिन्होंने 2020 में कृषि विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया था।
बीरेंद्र सिंह का दावा है कि वह केवल बेरोजगारी, गरीबी, कृषि और शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर प्रकाश डालना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “1991 में आर्थिक सुधारों की शुरूआत के बाद हमारी अर्थव्यवस्था में एक बड़ा उछाल देखा गया है। सरकार का कहना है कि हम फिलहाल दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और जल्द ही दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक होंगे। लेकिन इन 32 वर्षों के आर्थिक सुधारों में गरीबों और किसानों को उनका हिस्सा नहीं मिला है। क्या इस देश में केवल व्यापारी वर्ग और उद्योगपति ही करोड़ों कमा सकते हैं?”
बीरेंद्र सिंह ने आगे कहा कि जींद कार्यक्रम राजनीति से ऊपर उठकर होगा और वर्तमान में समाज जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उन पर अपने विचार साझा करने के लिए बुद्धिजीवियों और सामाजिक वैज्ञानिकों के लिए एक साझा आधार होगा। उन्होंने कहा कि यह एक सेमिनार की तरह होगा जिसमें हजारों लोग हिस्सा लेंगे।
सूत्र बताते हैं कि इस आयोजन के लिए लगभग 30 विधानसभा क्षेत्रों (राज्य में 90 सीटें हैं) के लोगों को आमंत्रित किया गया है। बीरेंद्र सिंह को हिसार लोकसभा सीट पर कांग्रेस से भाजपा में आए नेता कुलदीप बिश्नोई से चुनौती मिलने की उम्मीद है। साथ ही ऐसी अटकलें हैं कि जननायक जनता पार्टी (JJP) नेता और हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के साथ गठबंधन में हिसार सीट पर दावा कर सकते हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह ने हिसार लोकसभा सीट जीतने के लिए दुष्यंत के साथ-साथ कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई (जो उस समय कांग्रेस में थे) को हराया था।