छत्तीसगढ़ सरकार ने PMLA मामले में राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ ईडी की कार्रवाई को चुनौती देने वाली अपनी याचिका बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली। 2022 में दर्ज PMLA मामले में ईडी का कहना है कि 2019 से 2021 के बीच छत्तीसगढ़ में कोयला ढुलाई में एक बड़ा घोटाला हुआ। नेताओं, अधिकारियों और अन्य लोगों का एक गठजोड़ वसूली कर रहा था।
छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी याचिका में दावा किया कि ईडी ने बेंगलुरु में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर सितंबर 2022 को रायपुर में ईसीआईआर दर्ज कर राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की थी। सरकार के वकील ने बुधवार को जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की बेंच को बताया कि उन्हें याचिका वापस लेने के निर्देश दिए गए हैं। बेंच ने राज्य सरकार को याचिका वापस लेने की अनुमति देकर सोढ़ी की दलील दर्ज की।
याचिका में अदालत से ईडी की कार्रवाई को अवैध अधिकार क्षेत्र से परे और असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया था। छत्तीसगढ़ सरकार ने ईसीआईआर को रद्द करने की मांग करने के अलावा शीर्ष अदालत से यह आग्रह भी किया कि जांच के संबंध में ईडी द्वारा की गई सभी बाद की कार्रवाइयों को मनमाना और असंवैधानिक घोषित किया जाए क्योंकि उसने राज्य पुलिस के कार्यों में हस्तक्षेप किया है।
सरकार का आरोप है कि ईडी की जांच के परिणामस्वरूप राज्य सरकारी दफ्तरों में छापे मारे गए। इस दौरान राज्य के अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई। उसका कहना है कि ईडी की टीम उन जगहों पर भी चली गई जहां जाने से पहले उसे परमिशन लेनी चाहिए थी। सीएम के दफ्तर को भी निशाना बनाया गया। सरकार का कहना है कि अगर कुछ साबित होता है तो करिए लेकिन बेवजह परेशान तो मत करिए।