Lithium Reserves: केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही जम्मू-कश्मीर में मिले दुनिया के सातवें सबसे बड़े लिथियम भंडार की नीलामी करने जा रही है। इसी साल रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन अनुमानित लिथियम संसाधनों की खोज की गई थी। इस खोज के बाद यह इलाका रातोरात सुर्खियों में आ गया था। यहां 59 लाख टन लिथियम भंडार मौजूद होने का अनुमान जताया गया है। जानकारी के मुताबिक अगले कुछ सप्ताह में केंद्र सरकार नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। इसके लिए कुछ विदेशी कंपनियां भी संपर्क में हैं। बता दें कि मोबाइल से लेकर घड़ी और इलेक्ट्रिक व्हीकल से लेकर लैपटॉप तक में इस्तेमाल होनेवाली बैटरी में लिथियम ही प्रमुख रॉ मटीरियल है।
फरवरी में रियासी जिले में मिले लिथियम के भंडार के बाद सरकार को काफी उम्मीदें थीं। जानकारी के मुताबिक चिली की सरकार के साथ भी भारत इस भंडार को सुरक्षित करने के लिए बातचीत कर रहा है। हालांकि यह बातचीत अभी शुरुआती चरण में है। सरकार को उम्मीद है कि इस नीलामी से उसके खजाने में भारी बढ़ोतरी होगी। बता दें कि पिछले दिनों खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 को संसद से मंजूरी मिली है। इस बिल के पास होने के बाद सरकार ने नीलामी की प्रक्रिया में तेजी की है।
लिथियम के मामले में बोलिविया दुनिया में नंबर एक पर है। यहां लिथियम का सबसे बड़ा भंडार मौजूद है। वहीं दूसरे नंबर पर अर्जेंटीना तीसरे स्थान पर अमेरिका चौथी पोजीशन पर चिली 5वें नंबर पर ऑस्ट्रेलिया और छठे स्थान पर चीन का नाम सामने आता है। इन देशों में लिथियम का कितना बड़ा भंडार मौजूद है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया का करीब 76 फीसदी लिथियम इन्हीं देशों के पास मौजूद हैं। भारत में लिथियम मिलने से पहले दुनियाभर में 9.8 करोड़ टन लिथियम का भंडार था जो अब बढ़कर 10.59 करोड़ टन हो गया है।
जम्मू-कश्मीर में मिले लिथियम की अनुमानित कीमत करीब 3000 अरब रुपये बताई जा रही है। इसकी नीलामी से केंद्र सरकार के खजाने में भारी बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों को इसका सबसे बड़ा फायदा होगा। फिलहाल भारत में 100 फीसदी लिथियम आयात किया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन में एक टन लिथियम की कीमत करीब 50 लाख रुपये है।