पश्चिम बंगाल के शिक्षक भरती घोटाले में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को बड़ी राहत मिली है। सिंगल जज की बेंच ने अपने आदेश में ईडी को कहा है कि वो अभिषेक के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम न उठाए। माना जा रहा है कि ईडी अभिषेक को अरेस्ट करने की फिराक में थी।
जस्टिस तीर्थंकर घोष ने ईडी से सख्त लहजे में कहा कि वो अगले आदेश तक अभिषेक बनर्जी के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाएगी। ये घोटाला फिलहाल ममता बनर्जी की सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बना हुआ है। एक तरफ मंत्री रहे पार्थ चटर्जी जेल में हैं। वहीं भतीजे पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। अगर अभिषेक जेल जाते हैं तो ये सीधा ममता बनर्जी पर वार होगा। तृणमूल ने अदालत के इस फैसले की सराहना की है, जबकि विपक्षी कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अदालत के आदेश पर टिप्पणी से गुरेज किया। तृणमूल के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि इस फैसले से पता चलता है कि केंद्रीय एजेंसी बनर्जी के पीछे पड़ी हुई हैं। वो उन्हें परेशान कर रही हैं, क्योंकि वह भाजपा से लड़ रहे हैं।
हालांकि अदालत ने अभिषेक बनर्जी के खिलाफ दर्ज केस (ईसीआईआर) खारिज नहीं किया। जस्टिस तीर्थंकर घोष ने ईडी को निर्देश दिया कि ईसीआईआर के आधार पर बनर्जी के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पेश किए गए सबूत बनर्जी की गिरफ्तारी के वारंट के लिए पर्याप्त नहीं हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकारी और सरकार प्रायोजित विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती में अनियमितताओं को लेकर अभिषेक बनर्जी के खिलाफ जांच जारी रहेगी।
गौरतलब है कि इसी मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय सीबीआई निदेशक को भी समन कर चुके हैं। उनका मानना है कि सीबीआई शिक्षक भरती घोटाले की सही से जांच नहीं कर रही है। जस्टिस ने सीबीआई की केस डायरी देखने के बाद ये फैसला किया था।