चीन के हांगझाउ शहर में 19वें एशियन गेम्स का आयोजन किया गया है। इसमें अरुणाचल प्रदेश के तीन वुशु खिलाड़ियों को अपने यहां एंट्री देने से चीन के इनकार करने पर विवाद खड़ा हो गया है। भारत ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इसके विरोध में केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपना चीन दौरा रद्द कर दिया है।
इस मुद्दे पर एशिया ओलंपिक काउंसिल के कार्यकारी अध्यक्ष रणधीर सिंह ने कहा, “हमारी वर्किंग ग्रुप से गुरुवार को बात हुई थी, और इस मामले को वर्किंग ग्रुप की मीटिंग में भी उठाई गई है। वे इसको सरकार के पास ले जा रहे हैं और हम भी इसे सरकार के पास ले जा रहे हैं। यह विचाराधीन है। यह सरकार से सरकार के बीच का मामला है और हमारे क्षेत्र से बाहर है। हम ओसीए की तरफ से हैं। हम अपने स्तर से इसे कर रहे हैं।”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बगची का कहना है, “हमारे देश के नागरिकों के साथ निवास या जाति के आधार पर भिन्न व्यवहार को भारत सख्ती से खारिज करता है। अरुणाचल प्रदेश हमारे देश का अभिन्न हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। हमारे खिलाड़ियों के खिलाफ मजबूत प्रतिवाद दर्ज किया गया है। चीन का तौर तरीका एशियाई खेलों की आत्मा और उनके आचरण के नियमों का उल्लंघन करती है, जिसमें सदस्य राज्यों के खिलाड़ियों के प्रति भेदभाव को स्पष्ट रूप से रोका गया है।”
उन्होंने कहा, “चीन का रवैया अनुचित है। विरोध के प्रतीक के रूप में भारत के सूचना और प्रसारण मंत्री और युवा कार्य और खेल मंत्री ने चीन की अपनी निर्धारित यात्रा को रद्द कर दिया है। भारत सरकार अपने हितों की सुरक्षा के लिए उपयुक्त माध्यमों से अपनी बात रखने का अधिकार सुरक्षित रखती है।”
दूसरी तरफ ओसीए की एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष वेई जिज़होंग का दावा है, “भारतीय एथलीटों को चीन में प्रवेश के लिए वीज़ा दे दिया गया है।” उन्होंने कहा, “इन भारतीय एथलीटों को चीन में प्रवेश करने के लिए पहले ही वीजा मिल चुका है। चीन ने किसी भी वीजा से इनकार नहीं किया। दुर्भाग्य से इन एथलीटों ने इस वीजा को स्वीकार नहीं किया। मुझे नहीं लगता कि यह ओसीए की समस्या है क्योंकि चीन ने इसके लिए एक समझौता किया है। प्रमाणित योग्यता रखने वाले सभी एथलीटों को चीन में खेलने के लिए आने दें। यह स्पष्ट है। वीजा पहले ही दिया जा चुका है।”