भीमा कोरेगांव मामले के छठे आरोपी को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जेल से रिहा कर दिया है। इससे पहले पांच आरोपियों को जमानत मिल चुकी थी। छठी बेल आरोपी महेश राउत को दी गई। जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस शर्मिला देशमुख की बेंच ने 2018 के मामले में ये फैसला लिया।
इस मामले में महेश राउत से पहले जिन आरोपियों को बेल दी गई है उनमें सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, आनंद टी, वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फैरेरिया शामिल हैं। वरवरा राव को मेडिकल ग्राउंड पर बेल दी गई थी। जबकि एक अन्य आरोपी गौतम नवलखा सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद से हाउस अरेस्ट में हैं।
कोर्ट ने 33 वर्षीय कार्यकर्ता महेश राउत को जमानत देते हुए कहा कि एनआईए ने उनके खिलाफ जो सबूत पेश किए, वो अफवाह थे। उनकी पुष्टि नहीं हो पाई। बेंच ने कहा कि राउत को कुछ हद तक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का सदस्य कहा जा सकता है। लेकिन किसी आतंकी गतिविधि के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। बेंच ने कहा कि एनआईए यह साबित नहीं कर सकी कि वह प्रतिबंधित संगठन में लोगों की भर्ती करने में शामिल थे।
बेंच के आदेश सुनाने के बाद एनआईए की ओर से पेश हुए स्पेशल पब्लिक प्रासीक्यूटर संदेश पाटिल ने इस पर दो सप्ताह के लिए रोक लगाने का अनुरोध किया। बेंच ने अपने आदेश के क्रियान्वयन पर एक सप्ताह के लिये रोक लगा दी। राउत को जून 2018 में गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह मुंबई के बाहरी इलाके में स्थित तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “मौजूदा मामले में, संदिग्ध दस्तावेजों से किसी भी तरह से प्रथम दृष्टया यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि राउत ने यूएपीए के तहत अपराध माने जाने वाले किसी आतंकी कृत्य को अंजाम दिया है. या उसमें शामिल रहे हैं।
मामला दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद से संबंधित है। पुणे पुलिस के अनुसार माओवादियों ने इस सम्मेलन का आयोजन किया था। पुलिस ने आरोप लगाया था कि सम्मेलन में दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण अगले दिन पुणे में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक पर हिंसा हुई।