भारत के पूर्व डिप्टी पीएम चौधरी देवी लाल के निधन को भले ही 22 बरस गुजर चुके हों लेकिन हरियाणा की सियासत में उनका प्रभाव आज भी महसूस किया जा सकता है। आने वाली 25 सितंबर को चौधरी देवी लाल की 110वीं जयंती है, इस मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उनके परिवार के अलग-अलग गुट तीन अलग-अलग कार्यक्रम करने जा रहे हैं।
चौधरी देवी लाल के बेटे और हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला (88) INLD के बैनर तले कैथल शहर में एक रैली का आयोजन करने जा रहे हैं। इस रैली में इंडिया गठबंधन के कई नेताओं को आमंत्रित किया गया है। खबर तो यह भी है कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया गांधी को भी रैली में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया है।
दूसरी तरह हरियाणा के डिप्टी सीएम और देवी लाल के पड़पोते दुष्यंत चौटाला (35) जननायक जनता पार्टी के बैनर तले पड़ोसी राज्य हरियाणा के सीकर में रैली करने जा रहे हैं। उनके इस प्रयास को राजस्थान में जड़े जमाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। सीकर और आसपास के क्षेत्र में जाट वोटर्स की अच्छी तादाद है। जेजेपी इस साल के अंत में होने जा रहे राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। साल 1989 में देवी लाल ने सीकर लोकसभा सीट पर जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था और उन्होंने उस समय कांग्रेस के दिग्गज बलराम जाखड़ को हरा दिया था।
जिस दिन ओम प्रकाश चौटाला कैथल और दुष्यंत चौटाला सीकर में अपनी ताकत दिखा रहे होंगे, उसी दिन देवी लाल के तीसरे बेटे रंजीत सिंह चौटाला (78) अपने समर्थकों के साथ सिरसा में लंच करेंगे। रंजीत चौटाला अपने पिता की याद में अगले साल फरवरी 2024 में रैली करने की प्लानिंग कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस रैली में कई सीनियर बीजेपी नेताओं को आमंत्रित किया जाएगा। रंजीत सिंह ने 2019 में रनिया विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। वो 2024 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं।
देवी लाल परिवार के लोगों द्वारा किए जा रहे ये प्रोग्राम इस रीजन में अभी भी उनके प्रभाव को दर्शाते हैं। हरियाणा सरकार में मंत्री रहे संपत सिंह कहते हैं कि उत्तर भारत के लोग आज भी देवी लाल को उनकी सादगी के लिए याद करते हैं। 74 साल के संपत लाल ने करीब तीन दशक तक देवी लाल के साथ काम किया है। उन्हें 1977 में देवी लाल का पॉलिटिकल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया। तब देवी लाल मुख्यमंत्री थे। वो कहते हैं कि देवीलाल ने राजनीति को ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में जन-जन तक पहुंचाया। यहां तक कि वह अपने हेलीकॉप्टर को खेतों में भी उतारते थे।
चौधरी देवी लाल की लोकप्रियता साल 1987 में चरम पर थी। तब हरियाणा विधानसबा चुनाव में उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 85 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वह साल 1989 से लेकर 1991 के बीच वीपी सिंह और चंद्र शेखर की सरकार में डिप्टी पीएम रहे। उनके समर्थक आज भी उन्हें ओल्ड एज पेंशन (Old Age Pension), ट्रैक्टर्स, साइकिल और रेडियो पर टैक्स छूट, 10 हजार रुपये तक कृषि ऋण माफी, सरकारी बसों में छात्रों के लिए रियायती यात्रा, ट्यूबवेल के लिए किसानों को रियायती बिजली, और आसपास के खेतों के मालिकों के लिए सड़क किनारे के पेड़ों से होने वाले मुनाफे में हिस्सेदारी देने के लिए याद करते हैं।
रंजीत चौटाला, जो साल 1987 में देवी लाल कैबिनेट में मंत्री रहे हैं, कहते हैं कि साल 1987 में चौधरी देवी लाल द्वारा हरियाणा में ओल्ड ऐज पेंशन शुरू किए जाने के बाद यह देशभर में एक मॉडल बन गई। उन्होंने ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलों को हुए नुकसान के बदले मुआवजा देना भी शुरू किया। अपने पिता को हरियाणा के अस्तिव के लिए क्रेडिट देते हुए रंजीत करते हैं कि उन्होंने दोनों राज्यों में मजबूत आंदोलन शुरू करके एक अलग राज्य के लिए लड़ाई लड़ी और 1989 में कांग्रेस को हराने के लिए विपक्ष की धुरी के रूप में उभरे।
संपत सिंह, जो अब कांग्रेस में हैं, कहते हैं कि देवीलाल की अब भी बड़ी प्रासंगिकता है क्योंकि राज्य में उनके कद का आज भी कोई नेता नहीं है जो किसानों की लड़ाई लड़ सके। अगर वो आज जिंदा होते तो उन्होंने वर्तमान सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया होता। उनमें लोगों को आकर्षित करने की बड़ी क्षमता थी। चौटाला परिवार द्वारा किए जा रहे अलग-अलग कार्यक्रमों पर वो कहते हैं कि ये सियासी फायदे हासिल करने का प्रयास है।
हालांकि देवी लाल के बेटे रंजीत इन कार्यक्रमों में कुछ भी गलत नहीं देखते हैं। वो कहते हैं, “यह तो अच्छी बात है कि एक महान नेता की जयंती को सभी के द्वारा मनाया जा रहे हैं, सभी अपने-अपने तरीकों से मना रहे हैं। मैं भी इस महीने एक मेगा रैली का आयोजन करने वाला था लेकिन बीजेपी के टॉप नेताओं के आगामी विधानसभा चुनावों में कैंपेन की वजह से उनके नाम फाइनल नहीं किए जा सके। इसलिए अब यह रैली फरवरी में आयोजित की जाएगी।”