महेश केजरीवाल
करीब तीन दशक लंबे इंतजार के बाद महिला आरक्षण विधेयक लागू होने की स्थिति में दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। दिल्ली विधानसभा की तस्वीर भी पूरी तरह बदल जाएगी। दिल्ली विस में महज आठ महिला विधायक हैं, जिनकी संख्या अगले चुनाव के बाद बढ़कर कम से कम 23 हो जाएगी। इस विधेयक में 33 फीसद सीटों पर महिलाओं को टिकट देने व चुनने के प्रावधान की बात कही गई है।
महिला आरक्षण विधेयक पर आप विधायक बंदना कुमारी का कहना है कि महिलाओं को 33 फीसद नहीं, बल्कि पुरुषों के बराबर पचास फीसद आरक्षण मिलना चाहिए। महिलाओं के लिए पचास फीसद आरक्षण मांग नहीं, बल्कि हक है। आज महिलाएं हर मामले में निर्णय लेने में सक्षम है और पूरी ताकत से आगे बढ़ रही हैं।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली विस चुनाव 2020 में भाजपा, ‘आप’ व कांग्रेस ने कुल मिलाकर 24 महिलाओं को टिकट दिया था, जबकि नए कानून के बाद इतनी सीटें आरक्षित होंगी। जाहिर तौर पर कम से कम 69 महिलाओं को टिकट मिलने वाला है। दिल्ली विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाली सभी आठ महिला विधायक आम आदमी पार्टी से हैं। आप ने कुल नौ महिलाओं को टिकट दिया था।
2020 में 62 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली सत्ताधारी पार्टी ने कुल नौ महिलाओं को टिकट दिया था। कांग्रेस ने सबसे अधिक 10 महिला उम्मीदवारों और भाजपा ने सबसे कम पांच महिला उम्मीदवारों को मौका दिया था। हांलाकि, चुनाव में आप को छोड़कर कांग्रेस और भाजपा में एक भी महिला उम्मीदवार विधायक नहीं बन सकी। ऐसे में महिला आरक्षण कानून के बाद दिल्ली विधानसभा में भी आधी आबादी की ताकत काफी बढ़ने वाली है।
अभी दिल्ली की आठ सीटों पर महिला विधायकों का कब्जा है। कालकाजी विधानसभा से आतिशी के अलावा राजौरी गार्ड से धनवती चंदेला, हरि नगर से राजकुमार ढिल्लो, शालीमारबाग से बंदना कुमारी, त्रि नगर से प्रीति तोमर, पालम से भावना गौर, आरके पुरम से प्रमिला टोकस और मंगोलपुरी से राखी बिड़ला ने जीत दर्ज की थी।