सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए उम्र को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार को देश में सोशल मीडिया के उपयोग के लिए आयु सीमा तय करने पर विचार करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आजकल स्कूल जाने वाले बच्चे इसके आदी हो गए हैं। ऐसे में सोशल मीडिया इस्तेमाल करने की उम्र तय होना वरदान साबित होगा।
सुनवाई के दौरान जस्टिस नरेंद्र ने मौखिक रूप से कहा, “सरकार को सोशल मीडिया के इस्तेमाल के लिए एक आयु सीमा लाने पर विचार करना चाहिए। जब कोई यूजर रजिस्ट्रेशन करेगा तो उसे कुछ जानकारी देनी होगी, ठीक उसी तरह जैसे ऑनलाइन गेमिंग में होता है, जहां एक उचित आयुसीमा से कम व्यक्ति शामिल नहीं हो सकता है। आप इसे यहां भी क्यों नहीं बढ़ाते? यह एक वरदान होगा।”
यह मामला तब सामने आया जब केंद्र सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि कानून में अब कुछ ऑनलाइन गेम तक पहुंचने से पहले उपयोगकर्ता के पास आधार और अन्य दस्तावेज होना आवश्यक है। अदालत ने तब पूछा कि ऐसी चीजों को सोशल मीडिया तक भी क्यों नहीं बढ़ाया जा रहा है। अदालत ने कहा कि यह सही होगा कि शराब पीने की कानूनी उम्र की तरह सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने की भी उम्र तय कर दी जानी चाहिए। जस्टिस जी नरेंद्र ने कहा, ‘सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाएं। मैं आपको बताऊंगा कि बहुत कुछ अच्छा होगा। आज के स्कूल जाने वाले बच्चे इसके आदी हो गए हैं। मुझे लगता है कि आबकारी नियमों की तरह इसकी भी एक उम्र सीमा तय होनी चाहिए।’
जस्टिस नरेंद्र ने आगे कहा, “आज स्कूल जाने वाले बच्चे इसके इतने आदी हो गए हैं। मुझे लगता है कि इसमें एक आयु सीमा होनी चाहिए, जैसे कि कस्टम नियमों में है। बच्चे 17 या 18 साल के हो सकते हैं, लेकिन क्या उनमें यह निर्णय लेने की परिपक्वता है कि देश के हित में क्या है और क्या नहीं? केवल सोशल मीडिया पर ही नहीं, इंटरनेट पर भी ऐसी चीजें हटा देनी चाहिए, जो दिमाग को भ्रष्ट करती हैं।”
कर्नाटक हाईकोर्ट में दो न्यायाधीशों की बेंच कुछ सोशल मीडिया अकाउंट और ट्वीट्स को ब्लॉक करने के केंद्र के आदेश को दी गई चुनौती को खारिज करने के खिलाफ X ( ट्विटर) की अपील पर सुनवाई कर रही थी। जस्टिस जी नरेंद्र और जस्टिस विजय कुमार ए पाटिल की बेंच ने ये बातें X की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहीं। अदालत ने पहले केंद्र सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया कंपनी की याचिका खारिज कर दी थी और आदेशों का पालन नहीं करने पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।