आंध्र प्रदेश पुलिस ने फाइबरनेट घोटाले में राज्य सरकार को 114 करोड़ रुपये का नुकसान होने का आरोप लगाते हुए तेलुगू देशम पार्टी के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू की हिरासत के लिए कैदी ट्रांजिट वारंट जारी करने की अर्जी दी है।
आंध्र प्रदेश सीआईडी की पैरवी कर रहे स्पेशल पब्लिक प्रासीक्यूटर वाईएन विवेकानंद ने बताया कि वारंट मंगलवार देर रात विजयवाड़ा में एंटी करप्शन कोर्ट में दायर किया गया। सीआईडी ने आरोप लगाया है कि 330 करोड़ रुपये के एपी फाइबरनेट प्रोजेक्ट के चरण-1 के तहत एक पसंदीदा कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर में हेरफेर किया गया था।
सीआईडी का आरोप है कि टेंडर आवंटित करने से लेकर परियोजना पूरी होने तक कई अनियमितताएं हुईं, जिससे सरकार को राजस्व को भारी नुकसान हुआ। आरोप है कि नायडू ने मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री रहते हुए व्यक्तिगत रूप से फाइबरनेट परियोजना को सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के बजाय ऊर्जा आई एंड आई विभाग के देने की सिफारिश की थी।
एजेंसी ने आरोप लगाया है कि आपराधिक पृष्ठभूमि के बावजूद नायडू ने व्यक्तिगत रूप से वेमुरी हरिकृष्ण प्रसाद को सदस्य के रूप में नियुक्त कराया। सीआईडी ने आरोप लगाया है कि नायडू ने बाजार सर्वेक्षण कराए बिना परियोजना के परिव्यय को मंजूरी दे दी।
गौरतलब है कि नायडू फिलहाल जेल में बंद हैं। सीआईडी ने एक दूसरे केस में उनको गिरफ्तार किया था। नायडू ने अपने खिलाफ दर्ज केस को रद्द कराने के लिए आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। बीते दिन नायडू की तरफ से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने दलीलें दीं। उसके बाद सरकार की तरफ से दिग्गज वकील मुकुल रोहतगी ने बहस की। हाईकोर्ट ने दोनों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला रिजर्व कर लिया। नायडू की मुश्किल ये है कि वो एक केस में अदालत से राहत मांग रहे हैं लेकिन सीआईडी उनके खिलाफ एक के बाद एक करके कई केस खोलने पर अड़ी हुई है।