20 शिखर सम्मेलन में दुनिया की महाशक्तियां एक मंच पर दिखाई दीं। भारत जी20 समिट के जरिए तमाम बड़े देशों को साथ लाया, जो भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है। नई दिल्ली घोषणापत्र पर सभी देशों की सहमति भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत साबित हुई है, लेकिन जी20 शिखर सम्मेलन से भारत को आखिर क्या हासिल हुआ। आइए इन छह बिंदुओं के जरिए जानते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन ही स्वच्छ ऊर्जा के मामले में भारत की ओर से एक महत्त्वपूर्ण पहल का एलान किया था। उन्होंने इस मौके पर ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस शुरू करने की घोषणा की थी। भारत के अलावा अमेरिका और ब्राजील इस नए गठजोड़ के सदस्य हैं। इस गठबंधन के जरिए अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाएगा और कार्बन उत्सर्जन को नेट जीरो करने में काफी मदद मिलेगी।
पीएम मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन एक बड़ा एलान ये भी किया कि जी20 अब जी21 कहलाएगा। सर्वसम्मति के बाद अफ्रीकी यूनियन को जी20 का सदस्य बनाया गया है। इस नई सदस्यता को एक ऐतिहासिक कदम करार दिया जा रहा है जो कि भारत की अध्यक्षता में उठाया गया।
अफ्रीकन यूनियन में अफ्रीकी महाद्वीप के 55 देश शामिल हैं। ऐसे में जी20 जैसे अहम समूह में अफ्रीकन यूनियन के शामिल होने से दुनिया में नई विश्व व्यवस्था का निर्माण होगा, जिसमें विकासशील और गरीब देशों को भी वैश्विक फैसले करने की व्यवस्था में प्रतिनिधित्व मिलेगा।
जी20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रमुख मतभेदों से पार पाते हुए एक सर्वसम्मत घोषणापत्र को अपनाया गया, जो कि भारत की कूटनीतिक ताकत का उदाहरण है। इस घोषणापत्र में अंतरराष्ट्रीय कानूनों को बनाए रखने, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून, शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली को बनाए रखने का आह्वान किया गया है
भारत, सऊदी अरब, अमेरिका और यूरोप को जोड़ने वाले रेल लिंक परियोजना पर सहमति बनी है। इस परियोजना को चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का जवाब माना जा रहा है, जो दुनिया के विकासशील देशों को आधारभूत ढांचे के विकास के नाम पर चीन के कर्ज के जाल से बचाएगा। भारत से यूरोप तक जिस व्यापार मार्ग को बनाने की संकल्पना पेश की गई है, वह पश्चिम एशिया से होकर गुजरेगा।
नई दिल्ली घोषणापत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र तो है, लेकिन रूस का नाम नहीं लिया गया है। उसे यूक्रेन युद्ध कहा गया है। घोषणापत्र में सदस्य देशों से इलाकों पर कब्जा करने के लिए ताकत के इस्तेमाल या किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ कार्य करने से बचने का आग्रह किया गया है। घोषणापत्र में कहा गया कि परमाणु हथियारों की धमकी मंजूर नहीं होगी।
भारत और अमेरिका के बीच 6जी तकनीक को विकसित करने पर भी सहमति बनी है। इसके लिए जो अलायंस तैयार हुआ है, वह सिर्फ तकनीक विकसित करने पर ही नहीं, बल्कि उसकी आपूर्ति श्रंखला को विकसित करने पर भी केंद्रित है।