लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय रह गया है। ऐसे में सभी सियासी दल पार्टी की आंतरिक राजनीति से लेकर राजनीतिक मैदान में बेहतर तैयारी के लिए जुट गए हैं। उत्तर प्रदेश भाजपा ने शुक्रवार को 71% जिला इकाइयों में बदलाव कर दिया है। पार्टी ने 98 संगठनात्मक जिलों के अध्यक्षों की सूची की घोषणा की है। राज्य के छह क्षेत्रों में से भाजपा ने पश्चिम यूपी में 17, कानपुर क्षेत्र में 13, ब्रज, काशी और अवध क्षेत्र में 10-10 और गोरखपुर में नौ जिला अध्यक्षों को बदल दिया है। सबसे ज्यादा बदलाव पश्चिम यूपी में किए गए हैं, जहां पार्टी की 19 जिला इकाइयां हैं।
भाजपा की नजरें 2024 के आम चुनाव को देखते हुए अपने सबसे मजबूत राज्य उत्तर प्रदेश की सियासी जमीन को और मजबूत करने पर है। भाजपा पश्चिम यूपी के जिलों में अपने प्रदर्शन में सुधार करने का लक्ष्य लेकर चल रही है,जिसमें 14 लोकसभा क्षेत्र हैं। भाजपा ने उन सभी क्षेत्रों में बदलाव किए हैं जहां थोड़ा भी कमजोर पड़ने का खतरा दिखाई दे रहा है। पश्चिम यूपी की सियासत आरएलडी, सपा और कांग्रेस के एक साथ आने के बाद INDIA गठबंधन के लिए मजबूत हो गई है। इसके अलावा किसान आंदोलन के बाद भी इस इलाके की सियासत में फर्क आ गया है।
उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर संगठनात्मक बदलावों पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा, “उनमें से कई ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया था। कुछ जन प्रतिनिधि बन गए हैं तो कुछ को पार्टी संगठन में अलग-अलग भूमिकाएं दे दी गई हैं, नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति करते समय लोकसभा चुनाव से पहले उभरते राजनीतिक परिदृश्य पर भी विचार किया गया है।” चौधरी ने यह भी कहा कि जल्द ही जिला प्रभारियों की नियुक्ति की जाएगी।
कहा जा रहा है कि सिर्फ जिला स्तर के नेता ही नहीं भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए राज्य में अपने लगभग एक-चौथाई सांसदों को भी हटाने पर विचार कर रही है। भाजपा के सूत्रों ने कहा है कि हटाए गए लोगों में कुछ केंद्रीय मंत्री भी शामिल हो सकते हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक इनमें से ज्यादातर बदलाव पश्चिम और पूर्वी यूपी में हो सकते हैं।
पार्टी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कुछ जिला अध्यक्षों को उनके खिलाफ शिकायतों के कारण बदला गया था या क्योंकि पार्टी को लोकसभा चुनाव से पहले उन इकाइयों में अधिक सक्रिय नेताओं की जरूरत थी।
सपा और राष्ट्रीय लोक दल के बीच जोड़-तोड़ की खबर रही हैं लेकिन ताजा खबर दोनों दलों के INDIA गठबंधन में एक साथ होने को लेकर है। इससे पश्चिम यूपी पर लाफ़ी प्रभाव पड़ने वाला है, जहां दोनों दल लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ सकते हैं। भाजपा इस यूनिटी का तोड़ चाहती है इसीलिए भाजपा के कई नेता पश्चिम यूपी में सक्रिय हो गए हैं।