कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो आजकल कई चुनौतियों से घिरे हुए हैं। उनकी घरेलू नीतियां तो सवालों में चल ही रही हैं, इसके साथ-साथ उनकी विदेश नीति भी मजाक का पात्र बन रही है। हालात ऐसे बन गए हैं कि कनाडा में ही उनके इस्तीफे की चर्चा शुरू हो चुकी है। वहां की मीडिया भी सवाल पूछ रही है कि क्या समय से पहले ही जस्टिन ट्रूडो अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।
असल में जस्टिन ट्रूडो को लेकर कनाडा की मीडिया ने कहा कि जी20 समिट के दौरान वे पूरी तरह आइसोलेट कर दिए गए। उनकी एक नहीं चली और कई मुद्दों पर उनके बयान भी गलत ही संदेश दे गए। इसके ऊपर जिस तरह से खालिस्तान को लेकर उन्होंने सफाई वाली मुद्रा अपनाई, उसने भी उन्हें कई लोगों के निशाने पर ला दिया। एक सर्वे जो कनाडा में किया गया है, उसमें उनके प्रतिद्वंदी पियरे पोइलिवरे काफी आगे बताए जा रहे हैं। यानी कि अगर आज चुनाव करवा दिए जाएं तो जस्टिन ट्रूडो की वापसी काफी मुश्किल है।
वैसे जब मीडिया ने इस्तीफे वाली अटकलों पर जस्टिन ट्रूडो से सवाल पूछा तो उन्होंने घुमा-फिराकर जवाब देना ठीक समझा। उन्होंने कहा कि अभी तक मुझे काफी काम करना है. ये सच है कि जीवनयापन की लागत इस समय काफी ज्यादा हो गई है, ऐसे में लोगों का दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब विपक्ष तो आरोप लगाता है कि ट्रूडो की गलत नीतियों की वजह से ही देश इस संकट से जूझ रहा है। उनकी वजह से ही कनाडा की आर्थिक हालत खस्ता हो गई है।
इस समय भारत एक मजबूत साझेदार के तौर पर कनाडा के साथ काम कर सकता है। लेकिन कनाडा की मीडिया के मुताबिक जी20 समिट के दौरान जस्टिन ट्रूडो ने उस मौके को भी हाथ से गवा दिया। एक तो उनकी पीएम मोदी के साथ सिर्फ 10 मिनट की एक छोटी सी मुलाकात हुई, वहीं भारत की तरफ से जिस डिनर का सभी विदेशी मेहमानों के लिए आयोजन किया गया था, उसमें भी ट्रूडो शामिल नहीं हुए। इसी वजह से माना जा रहा है कि भारत और कनाडा के रिश्ते और ज्यादा खराब हो गए।