कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए पार्टी में बड़ा बदलाव कर दिया है। अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की एक नई टीम सामने आ गई है। इस टीम में सचिन पायलट को भी बड़ी जिम्मेदारी मिल चुकी है, यूपी से प्रियंका गांधी की छुट्टी हुई है और कई दूसरे नेताओं को भी आगे आने का मौका मिला है। लेकिन फिर भी खड़गे की ये टीम कहीं ना कहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ही राजनीति के लिए मुफीद दिखाई नहीं दे रही है।
असल में मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को कुल 12 महासचिवों और 12 प्रभारियों को नियुक्त किया था। हैरानी की बात ये रही कि वहां पर सिर्फ एक ही ओबीसी समाज के नेता को मौका दिया गया है, ज्यादातर तो अगड़ी जाति के ही निकल गए। अब ये बात मायने इसलिए रखती है क्योंकि राहुल गांधी ने हाल ही में संसद में ये मुद्दा उठा दिया था कि पीएम मोदी की अधिकारी वाली टीम में ओबीसी समाज से कितने लोग आते हैं? इसके अलावा उन्होंने अपनी चुनावी सभाओं में ये मुद्दा जमकर उठाया कि बीजेपी ओबीसी वर्ग को ज्यादा मौके नहीं दे रही। हाल ही संपन्न हुए चुनावों में तो जातिगत जनगणना का मुद्दा भी उनकी तरफ से ही सबसे ज्यादा उछाला गया था।
अब राहुल गांधी के इन बयानों का कोई असर पड़ पाता, उससे पहले कांग्रेस की नई टीम सामने आ गई है। इस टीम को बनाने के पीछे मल्लिकार्जुन खड़गे की सोच है जो वर्तमान में राहुल गांधी की विचारधरा से अलग दिखाई पड़ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर राहुल गांधी की रणनीति के हिसाब से चला जाता तो इन नियुक्तियों में ओबीसी समाज को ज्यादा जगह दी जाती। जानकार मानते हैं कि उस सूरत में राहुल गांधी डंके की चोट पर लोकसभा चुनाव में ओबीसी कार्ड खेल सकते थे। लेकिन जिस तरह से कांग्रेस में ही इस वर्ग को ज्यादा प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, राहुस की आगे की राह मुश्किल बन सकती है।
वैसे इस समय सियासी रूप से राहुल गांधी की डगर की तरह की चुनौतियों से लैस चल रही है। जब से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन की बैठक में राहुल की जगह मल्लिकार्जुन खड़गे को पीएम उम्मीदवार बनाने की बात कर दी है, देश की सबसे पुरानी पार्टी का ही एक वर्ग असहज बताया जा रहा है। ये बात किसी से नहीं छिपी है कि राहुल को पीएम दावेदार बनाने के लिए कांग्रेस ने काफी पापड़ बेले हैं। भारत जोड़ो यात्रा के जरिए उनकी छवि को भी पूरी तरह बदलने का प्रयास दिख चुका है। लेकिन ममता के एक दांव ने उन प्रयासों को कमजोर करने का काम कर दिया है।
इसके ऊपर अब जो नियुक्तियां की गईं हैं, वहां भी राहुल गांधी की छाप कम और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की रणनीति ज्यादा दिखाई दे रही है। कांग्रेस की नई लिस्ट की बात करें तो पार्टी ने सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बना दिया है। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी की जगह अब अविनाश पांडे को ये जिम्मेदारी सौंप दी गई है। जो लिस्ट सामने आई है, उसके मुताबिक रणदीप सुरजेवाला को कर्नाटक की जिम्मेदारी सौंप दी गई है, मुकुल वासनिक को गुजरात भेजने का फैसला हुआ है, जितेंद्र सिंह को असम और मध्य प्रदेश की बाग डोर संभालने के लिए कहा गया है। कुमारी सैलजा को भी अहम जिम्मेदारी देते हुए उत्तराखंड भेजा गया है।