कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस ने अपनी राष्ट्रीय गठबंधन समिति की घोषणा की है और इसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) सचिवालय में फेरबदल किया है। जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी टीम की घोषणा की तो इसमें राजस्थान में पार्टी के दो सबसे महत्वपूर्ण चेहरों को लेकर बड़ा संदेश दिया गया। ये नियुक्तियां पूर्व सीएम अशोक गहलोत और टोंक विधायक सचिन पायलट की बढ़ती राष्ट्रीय भूमिका की ओर इशारा करती हैं।
इस हफ्ते की शुरुआत में अशोक गहलोत को राष्ट्रीय गठबंधन समिति में शामिल किया गया था और सचिन पायलट को शनिवार को छत्तीसगढ़ का प्रभारी पार्टी महासचिव बनाया गया था। इससे अब सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि आगे चलकर राजस्थान कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका कौन निभाएगा? क्या पार्टी दोनों में से किसी एक को चुनेगी या किसी और को विपक्ष के नेता (LoP) के रूप में चुनेगी।
कांग्रेस पार्टी राजस्थान इकाई में मनमुटाव को कम करना चाहेगी। पिछले कुछ वर्षों से केवल अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच प्रतिद्वंद्विता को लेकर राजस्थान कांग्रेस चर्चा में बनी थी। हालांकि नए LoP की आधिकारिक घोषणा से आने वाले दिनों में तस्वीर साफ होने की उम्मीद है।
राजस्थान में हरीश चौधरी का नाम विपक्ष के नेता के लिए चल रहा है। हालांकि अभी तक पार्टी ने आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हरीश चौधरी इसके पहले पंजाब प्रभारी थे लेकिन अब उनसे प्रभार हटा दिया गया है। अगर किसी नए चेहरे को राजस्थान में विपक्ष का नेता पार्टी बनाती है तो माना जाएगा कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट को आने वाले समय में अन्य राज्यों में पार्टी की मजबूती के लिए काम करना होगा।
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी को 63 सीटों पर जीत हासिल हुई है तो वहीं बीजेपी को 115 सीटों पर जीत मिली है। 2018 में राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनी थी और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया था। इसके बाद से ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवाद जारी था।