कविता जोशी
वर्ष 2020 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिए जाने के आदेश के बाद सेना ने तेजी से इस दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसमें आजादी के 75 वर्ष बाद मौजूदा साल 2023 में इसे लेकर बल का एक ऐतिहासिक निर्णय सामने आया है। जिसमें सेना ने कुल 128 महिलाओं को स्थायी नियुक्ति के साथ कर्नल जैसे महत्त्वपूर्ण पद के लिए चयन किया है।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि शीर्ष अदालत के निर्णय को ध्यान में रखते हुए सेना लगातार अपने पदोन्नति बोर्ड के माध्यम से यह कोशिश कर रही है कि फौज में महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा तादाद में स्थायी नियुक्ति प्रदान की जाए। इस वर्ष यह आंकड़ा 128 पर पहुंच गया है। इन 128 महिला अधिकारियों को सेना की युद्धक को छोड़कर बाकी शाखाओं में तैनात करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
अभी 95 को संबंधित शाखाओं से जुड़े विभागों में तैनात कर दिया गया है। बाकी बची हुई 33 महिला अधिकारियों को भी जल्द ही तैनात कर दिया जाएगा। सेना का अनुमान है कि अगले वर्ष 2024 के मध्य तक यह सभी 128 महिला अधिकारी अपनी-अपनी शाखाओं में तैनात हो जाएंगी।
सूत्रों ने बताया कि महिलाओं का एक पूर्ण कर्नल पद के लिए चयन करने के लिए इस साल की शुरुआत से लेकर अंत तक कुल करीब चार बार (जनवरी, मार्च, अक्तूबर और साल के आखिर में) पदोन्नति बोर्ड (प्रमोशन बोर्ड-3) का गठन किया गया। जिसमें वरिष्ठ व अनुभवी सैन्य अधिकारियों की टीम को शामिल किया गया।
उनके द्वारा स्थायी नियुक्ति के साथ कर्नल पद के लिए आवेदन करने वाली महिलाओं का साक्षात्कार लिया गया और उसके बाद उन्हें स्थायी नियुक्ति के साथ कर्नल जैसा महत्त्वपूर्ण पद प्रदान किया गया। जनवरी-2023 में बैठे पदोन्नति बोर्ड ने कुल 108 महिलाओं को स्थायी नियुक्ति के साथ कर्नल पद के लिए चयन किया।
इसके बाद मार्च में फिर से बोर्ड बैठा और उसने छह महिलाओं को चुना और फिर अक्तूबर में छह महिलाओं को और कर्नल रैंक के लिए चुना गया। इसके बाद साल के अंत में सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश के तहत गठित किए गए विशेष नियुक्ति बोर्ड-2 के जरिए कुल आठ महिलाओं को कर्नल पद के साथ स्थायी नियुक्ति प्रदान की गई। जिसके साथ यह कुल आंकड़ा 128 हो जाता है।
मालूम है कि महिलाएं सेना में शार्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के जरिए शामिल होती हैं। सर्वाेच्च न्यायालय के 2020 के निर्णय से पहले उन्हें सेना में भर्ती होने के बाद 10 या 14 वर्षों तक सेवाएं दे सकती थीं। इस दौरान वह केवल लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक ही पहुंच पाती थीं। लेकिन अब उन्हें स्थायी नियुक्ति के लिए भी आवेदन करने व सेना में आगे भी अपनी सेवाएं जारी रखने का मौका मिलेगा। जिसके बाद रैंक के हिसाब से सेवानिवृत्त होने पर उन्हें पेंशन और अन्य भत्ते भी मिलेंगे।