जम्मू-कश्मीर के राजौरी में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ है जिसमें अभी तक चार जवानों के शहीद होने की खबर आई है। बताया जा रहा है कि आतंकियों ने सेना की गाड़ी पर अचानक से फायरिंग शुरू कर दी और उसी वारदात में इतनी बड़ी क्षति पहुंची। अब राजौरी में हुआ हमला तो गंभीर है ही, इससे ज्यादा चिंताजनक ट्रेंड ये है कि अब कश्मीर की तुलना में जम्मू में ज्यादा आतंकी हमले देखने को मिल रहे हैं।
जानकार मानते हैं कि राजौरी और पुंछ इलाके अपनी भौगोलिक स्थिति की वजह से लगातार आतंकियों के निशाने पर आ रहे हैं। असल में राजौरी और पुंछ की जो पहाड़ियां हैं, उनका एक हिस्सा पाक अधिकृत कश्मीर से भी निकलता है। इसी वजह से इस क्षेत्र के कुछ इलाके LOC से सटे हुए हैं। यहां पर कई छोटे नाले भी बने हुए हैं जिनके सहारे पाकिस्तान से ये आतंकी आसानी से जम्मू में एंट्री कर जाते हैं। बड़ी बात ये है कि यहां से आतंकियों को भागने में भी आसानी रहती है। अगर पकड़े जाने का डर बनता है तो ये तुरंत पाकिस्तान वापस चले जाते हैं।
इस बदलते ट्रेंड का एक बड़ा कारण ये भी माना जा रहा है कि कश्मीर में आतंकी हमले कुछ हम हो गए हैं, वहां पर दहशतगर्द लगातार फेल हो रहे हैं, उन्हें मुंह की खानी पड़ रही है, इसी वजह से उनका ध्यान जम्मू की तरफ शिफ्ट हो गया है जहां पर सुरक्षाबलों की तैनानी जरूर है, लेकिन उतनी नहीं जितनी कश्मीर में देखने को मिलती है। इसी बात का फायदा आतंकी लंबे समय से उठा रहे हैं और राजौरी और पुंछ में ज्यादा आतंकी हमले होते दिख रहे हैं।
आंकड़ों में बात करें तो अकेले इस साल अभी तक राजौरी और पुंछ में कुल 6 बड़े आतंकी हमले हो चुके हैं। वहां भी अप्रैल में 20 तारीख को 5 जवान पुंछ में शहीद हुए थे तो वहीं 5 मई को राजौरी में भी 5 जवानों ने अपनी जान की कुर्बानी दी थी। इसी तरह जुलाई महीने में चार जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे, वहीं इस बार 21 दिसंबर को फिर राजौरी में पांच जवान शहीद हो चुके हैं।
अब जवानों के शहीद होने का एक कारण ये भी माना जा रहा है कि आतंकी दो कदम आगे चल रहे हैं। इस चिंताजनक ट्रेंड की कड़ी भी उस पहलू से जुड़ी है जहां पर स्थानीय लोगों का आर्मी को ज्यादा समर्थन नहीं मिल रहा है। एक बयान में उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कहा था कि पाकिस्तान बड़ी चालाकी से अपने लोगों को भेजकर यहां सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहा है। उस वजह से भी सेना से उनकी दूरी बढ़ती जा रही है और आतंकियों को आसानी से हमले करने का मौका मिल रहा है।