दिल्ली में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में सीएम नीतीश कुमार के हिंदी आनी चाहिए वाले बयान पर विवाद छिड़ गया है। बिहार के मुख्यमंत्री के बयान पर अब सद्गुरु जग्गी वासुदेव की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। उन्होंने नीतीश कुमार को ऐसे बयानों से बचने को कहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सदगुरु ने राज्यों के बीच के भाषाई अंतर को भी समझाया है।
दरअसल, हाल ही में हुई INDIA गठबंधन की बैठकर में नीतीश कुमार ने दक्षिण भारत के नेताओं से कहा था कि हम अपने देश को हिंदुस्तान कहते हैं और हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमें यह भाषा आनी चाहिए।
सदगुरु जग्गी वासुदेव ने X पर किए गए पोस्ट में लिखा, “आदरणीय नीतीश कुमार जी, हिंदुस्तान का मतलब वह भूमि है जो हिमालय और इंदु सागर के बीच स्थित है या हिंदुओं की भूमि है न कि हिंदी भाषा की भूमि। राज्यों का भाषाई विभाजन इस समझदारी के साथ किया गया था। कि देश में सभी भाषाओं को समान दर्जा प्राप्त होगा, भले ही उन्हें बोलने वाली आबादी में बड़ा अंतर हो। आपसे आदरपूर्वक अनुरोध है कि ऐसे तुच्छ बयानों से बचें क्योंकि ऐसे कई राज्य हैं जिनकी अपनी भाषा, साहित्य और संस्कृति जुड़ी हुई है।”
हिंदी भाषा पर विवाद तब खड़ा हुआ जब इंडिया गठबंधन की बैठक को नीतीश कुमार हिंदी में संबोधित कर रहे थे। इस दौरान डीएमके नेता टीआर बालू ने आरजेडी सांसद मनोज झा से सीएम नीतीश के भाषण का अंग्रेजी अनुवाद करने का आग्रह किया था। जब मनोज झा ने नीतीश कुमार से इसकी इजाजत मांगी तो बिहार के मुख्यमंत्री बिफर गए। उन्होंने कहा कि हम अपने देश को हिंदुस्तान कहते हैं और हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमें यह भाषा आनी चाहिए। साथ ही उन्होंने अपने भाषण का अनुवाद करने से मना भी कर दिया।
सीएम नीतीश ने कहा कि अंग्रेजों को बहुत पहले ही भारत से खदेड़ दिया गया था और भारतीयों को भी औपनिवेशिक खुमार से दूर रहना चाहिए। गौरतलब है कि डीएमके और उसके नेताओं ने केंद्र द्वारा दक्षिण भारत में हिंदी थोपने के खिलाफ बार-बार अभियान चलाया है लेकिन गठबंधन की बैठक में भाषा विवाद फिर उभरता दिख रहा है।