सत्येंद्र किशोर मिश्र
विकसित भारत टिकाऊ तथा न्यायसंगत विकास सुनिश्चित करने के लिए उद्यमिता, नवाचार और तकनीक को बढ़ावा देगा। इसका मकसद गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य तथा प्रासंगिक कौशल के साथ युवाओं को सशक्त और सक्षम बनाना है। ग्रामीण विकास को प्राथमिकता देते हुए शहरी-ग्रामीण विभाजन को समाप्त कर विश्वस्तरीय पर्यावरण अनुकूल तथा टिकाऊ बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा।
भारत अवसरों का उपयोग कर चामत्कारिक आर्थिक विकास की ओर अग्रसर है। विकसित भारत 2047 का दूरदर्शी और महत्त्वाकांक्षी प्रयास तमाम क्षेत्रों, समाजार्थिक विकास, राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय दृष्टिकोणों के समन्वय पर केंद्रित है। विकसित भारत के लक्ष्य में सर्वाधिक प्रभावी भूमिका मानव संसाधन, विशेषकर युवाओं को होगी। समग्र शिक्षा अभियान, उच्च शिक्षा संस्थानों का विस्तार, कौशल विकास जैसे कार्यक्रम तथा नीतियों के कारण समाजार्थिक बुनियादी ढांचा व्यापक हुआ है।
आज भारत के 1,113 विश्वविद्यालयों, 43,796 कालेजों तथा 11,296 एकल संस्थानों में 4.33 करोड़ छात्र अध्ययनरत हैं तथा सकल नामांकन अनुपात 28.4 है। वर्ष 2047 तक उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों की क्षमता लगभग दोगुना होगी, इसके लिए मौजूदा उच्च शिक्षण संस्थानों की क्षमता बढ़ाने के साथ अतिरिक्त ऐसे संस्थानों की जरूरत है, जहां अनुसंधान तथा नवाचार हो।
दुनिया की युवा आबादी के लगभग पांचवें हिस्से के साथ भारत सबसे युवा देश है तथा वर्ष 2047 तक दुनिया में सबसे बड़ा कार्यबल प्रदाता देश बनने जा रहा है। अवसर है कि जनांकिकी लाभांश का बेहतर उपयोग कर विकसित भारत की संकल्पना साकार हो। राज्य वित्तीय तंगहाली में हैं, इसलिए नए उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए निजी क्षेत्र को आगे आना होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा प्रणाली में बदलाव कर कौशल विकास पर जोर देगी, साथ ही शहरी-ग्रामीण शिक्षा विभाजन को दूर कर, हर बच्चे के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करेगी, जीवनपर्यंत सीखने और व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देगी।
आज डेढ़ लाख से अधिक आयुष्मान भारत केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। लगभग चौदह लाख आंगनवाड़ी केंद्र, दस करोड़ बच्चों को बाल्य शिक्षा एवं स्वास्थ्य की चिंता कर रहे हैं। शिशु मृत्युदर, मातृ मृत्युदर तथा कम वजन वाले बच्चों के अनुपात में तेज गिरावट है। स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर निवारक देखभाल को प्राथमिकता तथा सभी को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करेगा। अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं तैयार करते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देगा।
पिछले दशक में रेललाइन निर्माण 1,452 किमी प्रतिवर्ष से लगभग तीन गुना बढ़कर 5,243 किमी प्रतिवर्ष हो गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग संजाल 60 फीसद बढ़कर 1,45,240 किलोमीटर हो गया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अंतरिक्ष अभियानों के जरिए नए प्रतिमान स्थापित हुए हैं। दुनिया में भारत डिजिटलीकरण में अग्रणी है; आधार, यूपीआइ, कोविन प्लेटफार्म की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां भी है; बिजली, पेयजल, बैंक खाते, मोबाइल फोन और इंटरनेट की पहुंच में सार्वभौमिक पहुंच हासिल करने के करीब हैं। आज 120 करोड़ मोबाइल फोन तथा 80 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं।
भारत में तीस करोड़ यूपीआइ उपयोगकर्ता प्रतिमाह एक हजार करोड़ रुपए का डिजिटल लेनदेन कर रहे हैं। उद्योग में अंतरराष्ट्रीय विनिर्माण केंद्र, आइटी तथा गैर-आइटी सेवा क्षेत्र वैश्विक बन रहा है। डिजिटल इंडिया तथा स्टार्टअप इंडिया भारत में रचनात्मकता और नवाचार लाकर युवाओं को रोजगार प्रदाता बनने में सक्षम बना रहे हैं। आज भारत लगभग 340 अरब अमेरिकी डालर के सौ यूनिकार्न के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ‘स्टार्टअप इकोसिस्टम’ बनकर उभरा है।
बहुत कम समय में वित्तीय समावेशन के तहत चालीस करोड़ बैंक खाते खोले गए। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, मनरेगा तथा प्रधानमंत्री आवास योजना द्वारा गरीबी के खिलाफ मजबूत लड़ाई जारी है। भारत हाशिए पर स्थित समुदायों पर ध्यान केंद्रित कर सामाजिक सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा और समावेशी विकास सुनिश्चित करेगा। प्रगतिशील कृषि सुधारों को लागू कर किसानों की उत्पादकता तथा आय बढ़ाकर, भारत टिकाऊ कृषि पद्धतियों और तकनीक नवाचारों को बढ़ावा देगा।
विकसित भारत टिकाऊ तथा न्यायसंगत विकास सुनिश्चित करने के लिए उद्यमिता, नवाचार तथा तकनीक को बढ़ावा देगा। इसका मकसद गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य तथा प्रासंगिक कौशल के साथ युवाओं को सशक्त और सक्षम बनाना है। ग्रामीण विकास को प्राथमिकता देते हुए शहरी-ग्रामीण विभाजन को समाप्त कर विश्वस्तरीय पर्यावरण अनुकूल तथा टिकाऊ बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा। सभी क्षेत्रों में डिजिटलीकरण को अपनाने के लिए ई-गवर्नेंस, डिजिटल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देना है। डिजिटल खाई पाटने, सुदूर और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल पहुंच सुनिश्चित करने तथा डिजिटल सेवाओं में विश्वास पैदा करने हेतु साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता को बढ़ावा देगा।
भारत जलवायु परिवर्तन तथा पर्यावरण संकट से निपटने के लिए प्राकृतिक संसाधन संरक्षण तथा नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा देगा। विकसित भारत के लिए कड़े पर्यावरण नियमों को लागू करने, पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने, टिकाऊ पहलों को प्रोत्साहित करने, व्यवसायों को हरित प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन, पर्यावरण संरक्षण के लिए अनुसंधान और नवाचार की आवश्यकता है। एआइ, जैव प्रौद्योगिकी तथा स्वच्छ ऊर्जा जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में निवेश कर नवाचार, अनुसंधान तथा विकास की संस्कृति को बढ़ावा देगा।
व्यवसाय सुविधा प्रदान कर विनिर्माण क्षेत्र, रोजगार सृजन तथा निर्यात को बढ़ावा देगा। लघु तथा मध्यम उद्यमों के विकास तथा नवप्रवर्तन पर विशेष ध्यान होगा। सार्वजनिक-निजी क्षेत्र सहयोग को प्रोत्साहित कर विकास परियोजनाओं को निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठाने से सार्वजनिक-निजी भागीदारी के लिए अनुकूल वातावरण बनेगा। भारत को ऐसी प्रगतिशील नीतियों की आवश्यकता है, जो उद्यमिता, नवाचार और निवेश को बढ़ावा दे तथा कारोबारी माहौल सुनिश्चित करे। भारत वैश्विक तकनीक का केंद्र बन कर एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करेगा, जो स्टार्टअप तथा उद्यमिता को मजबूती देगा।
वैश्विक चुनौतियों को भी देखना होगा, जिसमें अधिक समृद्ध लेकिन ध्रुवीकृत दुनिया सहित संरचनात्मक और संस्थागत सुधार, क्षेत्रीय असमानताओं को पाटना, विशिष्ट क्षेत्रों में उत्कृष्टता, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पुनर्मूल्यांकन, मानव पूंजीनिर्माण और वैश्विक नेतृत्व की आवश्यकता होगी। भारत-अफ्रीका का केंद्र में उभरना, अधिक समृद्ध लेकिन ध्रुवीकृत दुनिया, जलवायु बदलावों में वृद्धि तथा तेजी से बदलता भू-राजनीतिक परिदृश्य भविष्य को आकार देंगे। भौतिक दुनिया पर तेजी से विकसित हो रही डिजिटल तकनीक के प्रभाव, नवाचार, वैश्विक साझी वस्तुओं तथा अज्ञात प्रकृतिक जोखिमों के विरुद्ध संघर्ष भी है। जोखिमों को भी ध्यान में रखना है ताकि विकसित भारत की यात्रा मध्यम आय-जाल से बच सके।
भारत को बदलती जरूरतों और चुनौतियों के अनुरूप नीतियों के निरंतर मूल्यांकन और अनुकूलन की आवश्यकता है। प्रगति का मूल्यांकन संदर्भ-वर्षों में किया जाएगा; अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तथा वर्ष 2027 तक पांच खरब अमेरिकी डालर जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
विकसित भारत के विभिन्न पड़ावों में वर्ष 2030 में 6.69 खरब डालर, 2040 में 16.13 खरब डालर और वर्ष 2047 में 165 करोड़ आबादी तथा 30 खरब अमेरिकी डालर जीडीपी के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। इसी बुनियाद पर मौजूदा कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय का अनुमान वर्ष 2030 में 4,418 डालर, वर्ष 2040 में 10,021 डालर तथा वर्ष 2047 में 17,590 डालर होगी।
निर्यात लक्ष्य वर्ष 2030 में 1.58 खरब डालर, वर्ष 2040 में 4.56 खरब डालर तथा 2047 में 8.67 खरब डालर है। कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश कर युवाओं को उद्योग की जरूरतों के अनुरूप तैयार किया जाएगा, इससे रोजगार क्षमता तथा उद्यमिता में वृद्धि होगी और कुशल कार्यबल तैयार होगा, जो वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करेगा।