कविता जोशी
थल सेना, वायुसेना और नौसेना जैसी देश की तीन प्रमुख सशस्त्र सेनाओं में लैंगिक समानता स्थापित करने के उद्देश्य से मोदी सरकार द्वारा करीब पांच साल पहले लड़कियों को सैनिक स्कूलों में दाखिला देने का निर्णय अब पूरी तरह से धरातल पर क्रियान्वित होता हुआ नजर आ रहा है। रक्षा मंत्रालय के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं।
इनके मुताबिक वर्ष 2021 में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के बाद से लेकर अब तक कुल करीब एक हजार 602 लड़कियां सैनिक स्कूलों में दाखिला लेने के बाद पढ़ाई कर रही हैं। इसमें 33 पुराने सैनिक स्कूलों में लड़कियों की संख्या एक हजार 299 है व सार्वजनिक और निजी भागीदारी (ट्रिपल-पी) के तहत बनाए गए 19 नए सैनिक स्कूलों में लड़कियों का आंकड़ा 303 तक पहुंच गया है।
मंत्रालय के मुताबिक पुराने 33 सैनिक स्कूलों में सबसे ज्यादा 111 लड़कियां बिहार के सैनिक स्कूलों में हैं। इनमें सैनिक स्कूल गोपालगंज में 61 और सैनिक स्कूल नालंदा में 50 लड़कियां पढ़ाई कर रही हैं। दूसरे स्थान पर मध्य प्रदेश है जहां के सैनिक स्कूल, रीवा में 55 लड़कियां शिक्षा ले रही हैं। तीसरे स्थान पर लड़कियों को प्रायोगिक परियोजना के आधार पर दाखिला देने वाला देश का पहला राज्य मिजोरम आता है।
जहां के छिंगछिप सैनिक स्कूल में शिक्षा ले रही लड़कियों का आंकड़ा 51 है। इसके बाद झारखंड के तिलैय्या सैनिक स्कूल में 49 लड़कियां, आंध्र-प्रदेश के कलिकिरी और हरियाणा के कुंजपुरा में 47 लड़कियां शिक्षा ले रही हैं। मणिपुर की राजधानी इंफल स्थित सैनिक स्कूल में 46, कर्नाटक के कोडागू सैनिक स्कूल में 45, उत्तराखंड के घोड़ाखाल में 44 और महाराष्ट्र के सैनिक स्कूल, सतारा में 44 लड़कियां पढ़ाई कर रही हैं। इसके अतिरिक्त असम के गोलपाड़ा में 43 और केरल के कजहाकोट्टम सैनिक स्कूल में 43 लड़कियां शिक्षा ले रही हैं।
सार्वजनिक निजी भागीदारी (ट्रिपल-पी) के तहत स्थापित किए गए 19 सैनिक स्कूलों में सबसे ज्यादा लड़कियां गुजरात के श्री ब्रह्मानंद विद्यामंदिर स्कूल में हैं। यहां इनकी संख्या 40 है। इसके बाद हरियाणा के फतेहाबाद स्थित रायल इंटरनेशनल रेसिडेंशियल स्कूल में 34 लड़कियां, केरल के कोझिकोड में वेदव्यास विद्यालयम सैनिक स्कूल में 28 लड़कियां, कर्नाटक के मैसूर स्थित विवेका स्कूल आफ एक्सीलेंस में 26 लड़कियां, अरुणाचल-प्रदेश के तवांग पब्लिक स्कूल में 24, महाराष्ट्र के सांगली स्थित इंटरनेशनल स्कूल में भी 24 लड़कियां वर्तमान में शिक्षा ले रही हैं।
इसके अतिरिक्त श्री बाबा मस्तनाथ रेसिडेंशियल पब्लिक स्कूल, रोहतक हरियाणा में 22 लड़कियां, दादर नगर हवेली स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस मिलिट्री एकेडमी में 22, कर्नाटक के बेलगावी में सांगोली रेयाना सैनिक स्कूल में 20 लड़कियां हैं। तमिलनाडु के द विकास सैनिक स्कूल में 16 लड़कियां, सुंदरी देवी सरस्वती विद्या मंदिर में 13, बिहार के केशव सरस्वती विद्यामंदिर स्कूल में 9 लड़कियां पढ़ रही हैं।
सैनिक स्कूलों में लड़कियों के दाखिले की प्रक्रिया की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी। केंद्र सरकार ने मिजोरम के छिंगछिप सैनिक स्कूल में प्रायोगिक आधार पर छह लड़कियों को दाखिला दिया था। इसके बाद पांच और स्कूलों को लड़कियों को प्रवेश देने के लिए चुना गया। प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से घोषणा की थी कि देश के हर क्षेत्र में हमारी बेटियां अभूतपूर्व प्रदर्शन कर रही हैं।
जिसे देखते हुए अब सरकार ने तय किया है कि देश के सभी सैनिक स्कूलों के दरवाजे लड़कियों के लिए खोल दिए जाएंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वर्ष 2021-22 से सैनिक स्कूलों में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत की घोषणा की थी। देश में पहला सैनिक स्कूल 1960 के दशक में लखनऊ में खोला गया।