इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक राजधानी दिल्ली में संपन्न हो गई है। उस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की गई है, सीट शेयरिंग से लेकर पीएम चेहरे पर मंथन हुआ है। कुछ बातों पर सहमति बनी है, कुछ बातों पर नाराजगी दिखी है और कुछ नेताओं का तो बॉयकॉट भी सामने आया है। दिलचस्प बात ये है कि इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक से कुल चार बड़े संदेश निकलते हैं-
सीट शेयरिंग को लेकर अभी तक इंडिया गठबंधन में स्पष्टता की कमी थी। लेकिन चौथी बैठक के बाद एक धड़ा जरूर ये चाहता है कि 31 दिसंबर तक सीट्स को लेकर स्थिति फाइनल कर दी जाए। एक तबका ऐसा भी है जो मिड जनवरी तक का समय मांग रहा है। लेकिन इस बात पर सभी सहमत दिख रहे हैं कि सबसे पहले सीट शेयरिंग ही की जाएगी। अभी के लिए चिंता यूपी, पश्चिम बंगाल और पंजाब में सीट शेयरिंग को लेकर रह सकती है। पार्टियों का तर्क है कि बातचीत कर सबकुछ सुलझाया जाएगा।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंध की बैठक में उस समय सभी को हैरान कर दिया जब उन्होंने कहा कि वे इस पद पर एक दलित चेहरे को देखना चाहेंगी, वहां भी उनकी तरफ से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे कर दिया गया। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी इस प्रस्ताव का स्वागत कर दिया। पार्टियों के अंदर ही इस प्रस्ताव से असहजता बढ़ गई और नीतीश कुमार तो कुछ नाराज भी बताए गए। कुछ का तो यहां तक कहना है कि कांग्रेस का पत्ता साफ करने के लिए ही ममता ने खड़गे का नाम आगे कर दिया। अभी के लिए खड़गे ने खुद को इस रेस से बाहर बताया है और चुनाव जीतने पर फोकस है।
इंडिया गठबंधन को बने कई महीने हो चुके हैं, लेकिन अभी भी कई मुद्दोंं पर तालमेल की कमी और अविश्वास देखने को मिल रहा है। इसका एक बड़ा प्रमाण तो चौथी बैठक में तब मिल गया जब सपा ने दो टूक सवाल कर दिया- क्या यूपी में कांग्रेस को बसपा के साथ गठबंधन करना है? असल में अखिलेश यादव इसके विरोध में खड़े हैं, लेकिन कांग्रेस की यूपी वाली लोकल लीडरशिप इसके फेवर में दिख रही है। इसी वजह से मीटिंग के दौरान ये मुद्दा भी उठ गया। ये अलग बात है कि राहुल गांधी ने स्थिति साफ कर दी कि बसपा नहीं सपा के साथ ही यूपी में चुनाव लड़ा जाएगा।