Gyanvapi Case: वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। हाईकोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने 8 दिसंबर को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था। इन याचिकाओं में भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान के वाद मित्रों की तरफ से वाराणसी की अदालत में 1991 में दाखिल मुकदमे में विवादित परिसर हिंदुओं को सौंप जाने और वहां पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की मांग की गई थी।
वाराणसी में ज्ञानवापी के स्वामित्व को लेकर 1991 में याचिका दाखिल की गई थी। पहले इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की। इसके बाद तत्कालीन मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर ने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए प्रकरण सुनवाई के लिए अपने पास ले लिया। नवंबर में वह रिटायर हो गए। इसके बाद मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने इस मामले में सुनवाई की है। पिछली सुनवाई में फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। सुबह 10 बजे इस मामले की सुनवाई होनी है।
कोर्ट में इस मामले को लेकर 5 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इसमें 1991 में दाखिल मुकदमे में विवादित परिसर हिंदुओं को सौंप जाने की मांग की गई। याचिका में पूजा अर्चना की इजाजत भी मांगी गई है। 1991 में इस मामले को सोमनाथ व्यास-रामनारायण शर्मा और हरिहर पांडेय की ओर से दाखिल किया गया था। हाईकोर्ट को अपने फैसले में मुख्य रूप से यही तय करना है कि वाराणसी की अदालत इस मुकदमे को सुन सकती है या नहीं। वहीं मुस्लिस पक्ष का कहना है कि 1991 में लाए गए प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत इस मामले की।
Places of Worship Act 1991 के अनुसार, 15 अगस्त 1947 के पहले पूजा स्थलों की जो स्थिति थी, वही रहेगाी। सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में इस अधिनियम की वैधता पर सवाल उठाया गया है। कहा गया है कि यह कानून देश पर आक्रमण करने वालों द्वारा अवैध रूप से निर्मित किए गए पूजा स्थलों को मान्य कर रहा है। इसलिए इसे असंवैधानिक घोषित किया जाए।