प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 21 दिसंबर को पूछताछ के लिए सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नया समन जारी किया है। इससे पहले ED ने अक्टूबर की शुरुआत में सीएम केजरीवाल को समन जारी किया था और उन्हें 2 नवंबर को पेश होने के लिए कहा गया था, हालांकि उन्होंने इनकार कर दिया था और विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के लिए मध्य प्रदेश चले गए थे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर वह इस बार भी हाजिर नहीं हुए तो क्या होगा? इसके कानूनी पेच क्या हैं? वह इस बार भी हाजिर नहीं होंगे इस बात की संभावना इसलिए है क्योंकि वह 19 दिसंबर से विपश्यना सत्र में शामिल होने जा रहे हैं।
यह दूसरी बार है जब ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तलब किया है। धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 50 के तहत जिस किसी को भी सम्मन किया जाता है उसे व्यक्तिगत रूप से या अपने वकील के जरिए कोर्ट में पेश होना होता है।
जनवरी 2022 में दिल्ली की एक अदालत में दायर पहली चार्जशीट में ईडी ने दावा किया था कि केजरीवाल ने समीर महेंद्रू नाम के एक आरोपी के साथ वीडियो कॉल पर बात की थी और उसे इस ही मामले में दूसरे आरोपी के साथ काम करते रहने के लिए कहा था। अरविंद केजरीवाल ने इस वीडियो कॉल मामले में आरोपी विजय नायर को ‘माय बॉय’ कहा था।
जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पहला समन आया तो केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि समन भाजपा के इशारे पर जारी किया गया था। उन्होंने कहा था कि यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें गवाह के तौर पर या संदिग्ध के तौर पर बुलाया गया था। केजरीवाल मे यह भी सवाल उठाया था कि उन्हें नहीं पता कि उन्हें सीएम के तौर पर या आप के मुखिया के तौर पर, किस तौर पर बुलाया गया है। केजरीवाल ने कहा था कि जांच अधिकारी को समन को फिरसे ठीक करके भेजना चाहिए। इस बार में आप के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने पत्रकारों से कहा कि ताजा नोटिस को लेकर कानूनी राय मांगी गई है। अभी यह तय नहीं हुआ है कि अरविंद केजरीवाल जाएंगे या नहीं।
अगर अरविंद केजरीवाल इस बार भी ED के सामने पेश नहीं होते हैं तो ED तीसरा नोटिस जारी कर सकता है। और सैद्धांतिक तौर पर तब तक नोटिस जारी करता रह सकता है जब तक केजरीवाल ED के सामने पेश नहीं होते हैं, हालांकि अगर वह फिर भी जांच में में शामिल नहीं होते हैं तो ED दो काम कर सकती है…
2. मामले की जांच में जुटे अधिकारी उनके आवास पर पहुंच कर पूछताछ कर सकते हैं। इसके बाद अगर अधिकारियों के पास ठोस सबूत हैं, तो वे अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार भी कर सकते हैं।