संसद के शीतकालीन सत्र के 12वें दिन मंगलवार को विपक्ष ने सांसदों के निलंबन को लेकर दोनों सदनों में हंगामा किया। विपक्षी सांसदों ने सदन से लेकर सदन के गेट और परिसर में नारेबाजी और प्रदर्शन किया। इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही सुबह से 3 बार स्थगित की गई। लोकसभा से विपक्ष के 49 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। अब तक कुल 141 सांसदों को सदन से निलंबित कर दिया गया। इससे पहले सोमवार 18 दिसंबर को कुल 78 सांसदों (लोकसभा-33, राज्यसभा-45) को निलंबित किया गया था। पिछले हफ्ते भी 14 सांसदों निलंबित किया गया था।
मंगलवार को सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए एनसी नेता फारूक अब्दुल्ला, कांग्रेस नेता शशि थरूर, मनीष तिवारी, कार्ति चिदंबरम और एनसीपी सुप्रिया सुले सहित 49 लोकसभा सांसदों को निलंबित कर दिया गया। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील कुमार रिंकू और कांग्रेस के चंद्रेश्वर प्रसाद, माला रॉय को भी सस्पेंड किया गया है। अगर दोनों सदनों के सांसदों के निलंबन की बात की जाए तो लोकसभा से अब तक 95 जबकि राज्यसभा से 46 सांसदों को संसद से बाहर का रास्ता दिखाया गया है।
संसद में सोमवार को 78 विपक्षी सांसदों को आसन की अवमानना तथा अशोभनीय आचरण करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया। 34 सांसदों को संसद के पूरे शीतकालीन सत्र के लिए सस्पेंड किया गया। वहीं 11 सांसदों को प्रिविलेज कमेटी की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया गया। यह समिति तीन महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी। इन सांसदों को नियम 256 के तहत सस्पेंड किया गया है। नियम 256 के तहत सभापति आवश्यक समझे तो वह उस सदस्य को निलंबित कर सकता है, जो सभापीठ के अधिकार की अपेक्षा करे या जो बार-बार और जानबूझकर राज्य सभा के कार्य में बाधा डालकर राज्य सभा के नियमों का दुरूपयोग करे।
ए राजा, टी सुमति, दयानिधि मारन, अपारूपा पोद्दार, प्रसून बनर्जी, ईटी मोहम्मद बशीर, जी सेल्वम, सीएन अन्नादुराई, अधीर रंजन चौधरी, असीत कुमार मल, कौशलेंद्र कुमार, एंटो एंटनी, एसएस पलानीमिनिकम थिरूनावुक्करासर, प्रतिमा मंडल, काकोली घोष, के मुरलीधरन, सुनील मंडल, एस रामालिंगम, के सुरेश, अमर सिंह, राजमोहन उन्नीथन, गौरव गोगोई, टीआर बालू, के कानी नवास, के वीरस्वामी, एनके प्रेमचंद्रन, सौअत राय, शताब्दी राय।
राज्यसभा से इन सांसदों को किया गया सस्पेंड
प्रमोद तिवारी, जयराम रमेश, अमी याजनिक, नरेंद्रभाई जे. राठवा, सईद नासिर हुसैन, फूलो देवी नेताम, शक्ति सिंह गोहिल, के सी वेणुगोपाल, रजनी अशोकराओ पाटिल, रंजीत रंजन, इमरान प्रतापगढ़ी, रणदीप सिंह सुरजेवाला और अन्य सांसद।
संसद के दोनों सदनों से 90 से अधिक विपक्षी सदस्यों के निलंबन पर विरोध जताते हुए विपक्ष के सांसदों ने मंगलवार को संसद परिसर में प्रदर्शन किया और सदन की ‘मॉक कार्यवाही’ का आयोजन किया। निलंबित सांसदों ने संसद के नए भवन के मकर द्वार पर धरना दिया। इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सदस्य कल्याण बनर्जी ने राज्यसभा की कार्यवाही के संचालन के दौरान सभापति जगदीप धनखड़ के बोलने की शैली की नकल की। इससे पहले संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष विपक्षी सदस्यों ने प्रदर्शन किया जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार भी शामिल हुए। कई विपक्षी सांसदों के हाथों में तख्तियां थीं जिन ‘डेमोक्रेसी अंडर सीज’ (लोकतंत्र को बंधक बनाया गया) और कुछ अन्य नारे लिखे हुए थे।
संसदीय इतिहास में लोकसभा में सबसे बड़ा निलंबन 1989 में हुआ था। सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर हंगामा कर रहे थे। जिसके बाद अध्यक्ष ने 63 सांसदों को निलंबित कर दिया था।