‘एक देश एक चुनाव’ पर चर्चा करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में गठित की गयी उच्च स्तरीय समिति की बैठक आज होने की संभावना है। बैठक में इस मुद्दे पर अब तक हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी। इसके साथ ही राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाओं पर भी चर्चा की जाएगी।
सूत्रों ने कहा कि इस अनौपचारिक बैठक के लिए हालांकि लिखित एजेंडा जारी नहीं किया गया है। संभावना है कि इसमें राजनीतिक दलों से मिली प्रतिक्रियाओं पर मंथन किया जा सकता है। दरअसल, कमेटी ने अपनी पहली बैठक में राजनीतिक दलों की राय जानने का फैसला किया था। जिसके लिए समिति ने दलों को पत्र लिखकर उनके विचार मांगे थे। साथ ही आपसी सहमति से एक तारीख पर बातचीत की पेशकश की थी। बाद में कमेटी ने पार्टियों को उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए एक रिमाइंडर लेटर भी भेजा था। राजनीतिक दलों को अगले तीन महीनों में अपने विचार लिखित तौर पर भेजने का विकल्प भी दिया गया था।
समिति ने 6 राष्ट्रीय पार्टियों, 33 राज्य पार्टियों और 7 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों को पत्र भेजकर ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उनके सुझाव आमंत्रित किए थे। समिति ने एक साथ चुनाव कराने पर विधि आयोग का विचार भी सुना था। इस मुद्दे पर दोबारा विधि आयोग को बुलाया जा सकता है।
इससे पहले लॉ कमीशन ने अक्टूबर में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नेतृत्व वाले पैनल के साथ वन नेशन, वन इलेक्शन पर चर्चा की थी। इस दौरान आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने कुछ सदस्यों के साथ एक साथ चुनाव कराने के रोडमैप पर चर्चा की थी। लॉ कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी ने देश में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की संभावनाओं पर विचार के लिए पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च-स्तरीय समिति के सामने आगे की रणनीति पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी थी। समिति ने यह जानने के लिए विधि आयोग को आमंत्रित किया था कि देश में एक साथ चुनाव कैसे कराए जा सकते हैं।
2 सितंबर 2023 को गठित समिति ने अक्टूबर में अपनी दूसरी बैठक की, जिसमें सभी सदस्य – कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, पूर्व विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद, पूर्व वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी. कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी उपस्थित थे।
दरअसल, लॉ कमीशन सभी विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के फॉर्मूले पर काम कर रहा है। सू्त्रों ने बताया कि विधि आयोग लोकसभा, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक आम मतदाता सूची के लिए एक तंत्र तैयार कर रहा है, ताकि लागत और जन संसाधन के उपयोग को कम किया जा सके। सूत्रों ने बताया कि 2029 से लोकसभा के साथ-साथ राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करने के लिए विभिन्न विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के लिए आयोग विधानसभाओं के कायर्काल को कम करने या बढ़ाने का सुझाव दे सकता है।