लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस उत्तर प्रदेश के लिए खास प्लान बनाने में जुट गई है। पार्टी मुख्यालय में उत्तर प्रदेश कांग्रेस की एक बैठक हुई, जहां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद थे। उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां से आम चुनावों की दिशा तय होती है, हिन्दी भाषी राज्यों में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं। ऐसे में बीजेपी, कांग्रेस, सपा और तमाम राजनीतिक दल इस राजनीतिक किले को भेदने में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ते हैं। कांग्रेस ने भी उत्तर प्रदेश में एक बार फिर अपनी ज़मीन तलाशने की कोशिश शुरू कर दी है। प्रदेश के नेता चाहते हैं कि इस अहम चुनाव में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे यूपी से ही चुनावी मैदान में उतरें। इसके अलावा भी इस मीटिंग से कुछ खास चर्चाएं निकल कर बाहर आई हैं।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने इंडिया गठबंधन में सपा के अलावा बसपा को भी शामिल करने की ओर पार्टी का ध्यान दिलाया है, पार्टी नेताओं का मानना है कि बसपा का इंडिया गठबंधन में होना जरूरी है। प्रदेश नेताओं को केंद्रीय नेतृत्व ने आश्वासन दिया है कि पार्टी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेगी और इसपर विचार किया जाएगा। हालांकि बसपा का क्या मन है, इसपर प्रतिक्रिया आने तक इंतेजार किया जा सकता है। कांग्रेस आलाकमान ने भी इस गठबंधन को लेकर फिलहाल किसी तरह की बात नहीं कही है।
अब सवाल यह भी उठता है कि आखिर बसपा को शामिल करने से इंडिया गठबंधन को क्या फायदा होगा? और बसपा विपक्षी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनती है तो इन्हें इसका नुकसान किस तरह होगा?
द क्विंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के एक दलित नेता का मानना है कि कांग्रेस सपा और रालोद एक साथ चुनाव लड़ते हैं तब भी बहुत अच्छा नहीं कर सकते। इसे समझने के लिए अगर बात करें 2019 के लोकसभा चुनाव की तब 80 लोकसभा सीटों में से बीजेपी और उसके सहयोगी अपना दल को कुल 64 सीटें मिली थीं वहीं एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन, जिससे बीजेपी को कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद थी, केवल 15 सीटें जीतने में कामयाब हो सका था हालांकि बसपा ने 10 सीटें जीतीं थीं, यह 10 सीट काफी मायने रखती हैं, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट मिल सकी थी। यह सवाल बाद के लिए छोड़ा जा सकता है कि बसपा गठबंधन का हिस्सा बनना चाहेगी या नहीं…लेकिन इतना कहा जा सकता है कि बसपा ने कई इशारे किए जो यह कहते हैं कि उन्हें इस गठबंधन से परहेज है।
बसपा का डर यह है कि गठबंधन में अन्य समाजवादी दलों के साथ संबंधों और कांग्रेस और वामपंथियों के साथ पुराने संबंधों के रहते सपा का दबदबा हमेशा ज्यादा रहेगा और उन्हें कम आंका जाएगा, फिर सीट बंटवारे के सवाल पर भी काफी मुश्किलें सामने आ सकती हैं।