संसद में सुरक्षा चूक को कुछ दिन बीत चुके हैं, लेकिन इस मामले में अभी भी कई नाटकीय मोड़ सामने आ रहे हैं। आरोपियों की रणनीति को लेकर तो काफी कुछ पता चल रहा है, ये भी जानकारी मिली है कि पहले स्मोक अटैक से भी ज्यादा कुछ खतरनाक करने की तैयारी चल रही थी। ये राज भी इस घटना के मास्टरमाइंड ललित ने पुलिस को बताया है।
असल में 13 दिसंबर को पहले संसद के अंदर स्मोक अटैक की तैयारी नहीं थी। प्लान तो ये था कि दो आरोपी खुद को संसद के अंदर आग लगा लेंगे, यानी कि आत्मदाह करने की कोशिश रहेगी। बड़ी बात ये थी कि आरोपी अपने शरीर पर एक खास किस्म का जेल लगाने वाले थे जिससे जलने के बाद भी उनके शरीर को ज्यादा नुकसान ना पहुंचे और वो सभी बच जाएं। ललित के मुताबिक ये प्लान पूरी तरह तैयार था, लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें वो जेल ही नहीं मिला जो शरीर पर लगाना था। इसी वजह से उस आइडिया को ड्रॉप कर दिया गया और स्मोक बम का संसद में इस्तेमाल हुआ।
ललित ने ये भी बताया कि प्लान ए तो यही था कि खुद को आग लगाई जाएगी, लेकिन एक प्लान बी पहले से तैयार था।उसी प्लान के तहत स्मोक अटैक करना था। अब पुलिस के मुताबिक ललित बड़े खुलासे जरूर कर रहा है, लेकिन उसकी तरफ से लगातार स्टेटमेंट बदले जा रहे हैं, यानी कि वो गुमराह करने की भी कोशिश में लगा हुआ है। ललित को लेकर ये भी बताया गया है कि उसने अपने साथी आरोपियों के फोन जला दिए थे।
यहां ये समझना जरूरी है कि इन आरोपियों ने पहले से ही अपनी जिम्मेदारियां तय कर ली थीं। अगर नीलम को संसद के बाहर प्रदर्शन करना था, तो मनोरंजन और सागर को अंदर जाकर बवाल काटना था। यानी कि सबकुछ पहले से प्लान्ड था और उसी तर्ज पर इतनी बड़ी सेंधमारी को अंजाम दिया गया। अभी के लिए पुलिस ने कुल 6 आरोपियों को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के पास ही सभी आरोपियों की कस्टडी है और कई तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं।
वैसे पुलिस को जांच में ये भी पता चला है कि इन आरोपियों ने अपनी चैट तक सिक्युर कर रखी थी। सरल शब्दों में बोलें तो इन आरोपियों को पहले से पता था कि ये पकड़े जा सकते हैं, ऐसे में गूगल पर सबसे पहले सर्च किया गया कि अपनी चैट को सिक्योर कैसे किया जाए। वो नहीं चाहते थे कि उनकी चैट जांच एजेंसी तक पहुंच जाएं, इसी वजह से वाट्स ऐप की जगह सिग्नल ऐप का इस्तेमाल किया गया।