कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष चरण दास महंत (69) को विपक्ष का नेता नामित किया। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी एक प्रेस बयान में कहा गया है कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायक दल (CLP) के नेता के रूप में महंत की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। लोकसभा सदस्य दीपक बैज राज्य में प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) प्रमुख बने रहेंगे।
2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 68 सीटों के साथ जीत हासिल की थी और बाद में उपचुनावों में सीटों की संख्या बढ़ाकर 71 कर ली थी, लेकिन इस बार उसकी स्थिति बदल गई। हाल ही में हुए राज्य चुनावों में पार्टी सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गई। दूसरी तरफ राज्य विधानसभा की कुल 90 सीटों में से 54 सीटें जीत कर बीजेपी सत्ता में लौट आई। पहला विधानसभा सत्र 19 दिसंबर को शुरू होने की संभावना है। यह तीन दिनों में खत्म हो जाएगा। पिछली कांग्रेस सरकार के नौ मंत्री इस बार विधानसभा चुनाव में अपनी सीटें हार गए। चरण दास महंत उन पांच सीनियर नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने अपनी सीटें बरकरार रखीं।
दूसरी पीढ़ी के कांग्रेस नेता महंत अपनी विनम्रता और मृदुभाषी स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। जनवरी 2019 से दिसंबर 2023 तक विधानसभा अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, उन्हें “निष्पक्ष” होने के लिए सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्षी सदस्यों द्वारा भी प्रशंसा मिली। 1954 में छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में जन्मे महंत उच्च शिक्षित हैं और उनके पास पीएचडी की डिग्री है। वह तीन बार लोकसभा सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे हैं। उनके पिता स्वर्गीय बिसाहू दास महंत, एक प्रमुख कांग्रेस नेता थे, जो अविभाजित मध्य प्रदेश में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले विधायकों और पार्टी इकाई के प्रमुख में से एक थे।
2013 में झीरम घाटी माओवादी हमले में राज्य के कई कांग्रेस नेताओं की मौत हो गई थी। तब राज्य चुनाव से कुछ महीने पहले तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महंत को नंद कुमार पटेल के स्थान पर पीसीसी प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के लिए कहा था। नंद कुमार पटेल की माओवादी हमले में मृत्यु हो गई थी। इससे पहले महंत 2004 से 2006 तक कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख रह चुके थे। पार्टी को जब भी उनकी जरूरत पड़ी, उन्होंने अतिरिक्त प्रभार संभाला।
1998 में महंत को कोरबा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा गया। वह 1999 और 2009 में फिर से चुने गए। 2014 में वह अपनी लोकसभा सीट बीजेपी से मामूली अंतर से हार गए। 2018 में पार्टी ने उन्हें सक्ती से विधानसभा चुनाव में उतारा, जहां उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार पर 20% वोटों के अंतर से जीत हासिल की। महंत की पत्नी ज्योत्सना ने 2019 में कोरबा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, जब कांग्रेस राज्य की 11 संसदीय सीटों में से केवल दो ही सुरक्षित कर सकी।
महंत ने मध्य प्रदेश सरकार में कृषि, वाणिज्यिक कर, गृह मामलों और जनसंपर्क विभागों में मंत्री पद भी संभाला है। वह तीन शीर्ष ओबीसी नेताओं में से एक थे – उनके अलावा अन्य दो भूपेश बघेल और ताम्रध्वज साहू थे – जो 2018 में सीएम की कुर्सी के लिए सबसे आगे चल रहे थे, लेकिन सूत्रों ने कहा कि बाद में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष का पद मांगा और उन्हें मिल गया।
विधानसभा के आखिरी दिन पूर्व सीएम बघेल ने “निष्पक्ष होने और बीजेपी विधायकों को बोलने के लिए अधिक समय देने” के लिए महंत की सराहना की थी, क्योंकि विपक्षी विधायकों की संख्या कम थी। महंत और बघेल दोनों ही दिग्विजय सिंह के खास रहे हैं और अविभाजित मध्य प्रदेश में उनके शासनकाल में मंत्री रहे हैं।