ग्वालियर रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ी हाईकोर्ट के जज की कार की चाबी जबरन छीनकर बीमार यात्री को अस्पताल ले जाने का मामला गंभीर होता जा रहा है। इस केस में आरोपी बने एबीवीपी के दो कार्यकर्ताओं को कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया। वहीं अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के कार्यालय ने इस मामले का संज्ञान लिया है। सीएम ने केस की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) को एबीवीपी के दोनों कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की जांच करने का आदेश दिया है।
सीएम ने कहा, ‘‘डीजीपी को यह देखने के लिए कहा गया है कि क्या डकैती से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज करना उचित था, क्योंकि छात्रों की कोई आपराधिक बैकग्राउंड नहीं है।’’ यादव ने कहा, ‘‘सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जांच के बाद उचित कार्रवाई करना सही रहेगा। मामले की जांच का निर्णय लिया गया है।’’
पुलिस ने बताया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के ग्वालियर सचिव हिमांशु श्रोत्रिय (22) और उप सचिव सुकृत शर्मा (24) को डकैती विरोधी कानून मप्र डकैती और व्यपहरण प्रभाव क्षेत्र अधिनियम के तहत सोमवार को गिरफ्तार किया गया। इससे पहले इस मुद्दे पर एबीवीपी की मध्य प्रदेश इकाई के सचिव संदीप वैष्णव ने दोनों का बचाव करते हुए कहा था कि वे एक ऐसे व्यक्ति की मदद करने की कोशिश कर रहे थे, जिसकी तबीयत तेजी से बिगड़ रही थी और उन्हें नहीं पता था कि कार हाईकोर्ट के न्यायाधीश की थी।
उन्होंने बताया कि एबीवीपी के कुछ लोग ट्रेन से दिल्ली से ग्वालियर आ रहे थे और उन्होंने देखा कि एक यात्री की तबीयत गंभीर हो रही है। वैष्णव के मुताबिक ट्रेन में सवार संगठन के लोगों ने इसकी जानकारी ग्वालियर स्टेशन पर एबीवीपी के अन्य पदाधिकारियों को दी। उन्होंने बताया कि कार्यकर्ताओं ने बीमार व्यक्ति को ग्वालियर स्टेशन पर उतार दिया, लेकिन करीब 25 मिनट तक उसकी मदद के लिए कोई एम्बुलेंस नहीं पहुंची। वैष्णव ने कहा, चूंकि उस व्यक्ति की हालत बिगड़ रही थी तब एबीवीपी कार्यकर्ता उसे स्टेशन के बाहर खड़ी कार में अस्पताल ले गए, लेकिन उसकी मौत हो गई।
ग्वालियर के इंदरगंज शहर के पुलिस अधीक्षक (SP) अशोक जादौन ने बताया कि शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश के झांसी में एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके रणजीत सिंह (68) की हार्ट अटैक रुकने से मौत हो गई। बुधवार को एबीवीपी के दोनों पदाधिकारियों की जमानत खारिज कर दी गई और वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
एबीवीपी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा है। इससे पहले शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ को पत्र लिखकर एबीवीपी के दो पदाधिकारियों के लिए माफी मांगी थी। चौहान ने न्यायमूर्ति मलिमथ को पत्र में लिखा, ‘‘हिमांशु श्रोत्रिय (22) और सुकृत शर्मा (24) का इरादा अपराध करने का नहीं था, इसलिए उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें माफ कर दिया जाना चाहिए।
चूंकि यह एक अलग तरह का अपराध है जो नेक इरादे और जीवन बचाने के उद्देश्य से मानवीय आधार पर किया गया है, इसलिए यह माफ करने लायक है।’’ डकैती मामलों के विशेष न्यायाधीश संजय गोयल ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि कोई व्यक्ति विनम्रता से मदद मांगता है, ताकत से नहीं। न्यायाधीश ने घटना में पुलिस डायरी का हवाला देते हुए कहा कि एंबुलेंस बीमार व्यक्ति को ले जाने के उद्देश्य के लिए आदर्श वाहन है जो मरीज को लेने स्टेशन पर पहुंची थी।