असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार ने राज्य के 1,281 सरकारी मदरसों का नाम बदलकर ME-मिडिल इंग्लिश स्कूल कर दिया है। असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगू ने कहा कि यह कदम शिक्षा प्रणाली में बेहतरी को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। इससे पहले भी असम सरकार मदरसों को लेकर कई तरह के निर्देश देती रही है। जानकारी के लिए बता दें कि असम में मदरसों का एक बड़ा वर्ग राज्य सरकार द्वारा चलाया जाता है, जो असम के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (एसईबीए) के तयशुदा पाठ्यक्रम के हिसाब से चलते हैं, लेकिन मदरसों में दो सबजेक्ट- अरबी भाषा और धर्मशास्त्र अलग से पढ़ाए जाते हैं। असम में कई मदरसे प्राइवेट भी है, हालांकि इनका डेटा उपलब्ध नहीं है।
मदरसों के नाम में बदलाव का यह मामला पहला है, हालांकि असम सरकार इससे पहले कई मदरसों को बंद कर चुकी है और कुछ मदरसों के धार्मिक स्टेटस भी छीने गए हैं। इससे पहले भी हिमंत बिस्वा सरमा ने कई आयोजनों में इस मामले पर बात की है। पिछली सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में शिक्षा मंत्री के तौर पर सीएम सरमा ने राज्य संचालित मदरसों को नियमित स्कूलों में बदलने के लिए एक कानून को आगे बढ़ाया था। तब उन्होंने कहा था कि इसे किसी समुदाय से दुश्मनी के कारण नहीं, बल्कि समाज के एक पिछड़े और शोषित वर्ग के उत्थान के उद्देश्य से लाया गया है। मई 2022 में आरएसएस से जुड़े एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम सरमा ने कहा था कि अगर भारतीय मुसलमानों को शिक्षा के मैदान में आगे बढ़ना है तो ‘मदरसा’ शब्द को खत्म करना होगा। यदि आप धर्म की शिक्षा देना चाहते हैं, तो आप वह काम घर पर करें। स्कूलों में आपको विज्ञान, गणित सीखना चाहिए।
इस साल मार्च में बेलगावी में एक कार्यक्रम में असम के मुख्यमंत्री ने कहा था, “मैं असम से आता हूं, जहां हर रोज लोग बांग्लादेश से आते हैं… हमारी संस्कृति और परंपराओं के लिए ये खतरा है, मैंने भी 600 मदरसों को बंद कर दिया है, लेकिन मेरा इरादा सभी मदरसों को बंद करने का है।”
उनके इस बयान के बाद कहा गया कि वे ऐसी बात कैसे कह सकते हैं? हिमंत बिस्वा सरमा ने जवाब दिया और कहा,”मैं ऐसी बात इसलिए कह सकता हूं क्योंकि हमें मदरसों की जरूरत नहीं है, हमें डॉक्टरों और इंजीनियरों की जरूरत है. स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय हमारी जरूरत हैं।”
अगस्त और सितंबर 2022 में कथित तौर पर राष्ट्र-विरोधी और जिहादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में चार मदरसों को तोड़ दिया गया था। 31 अगस्त 2022 को गोलपारा जिले के पखिउरा चार के निवासियों ने एक मदरसे गिरा दिया था। यह कदम मदरसे से जुड़े एक मौलवी को कथित राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किए जाने के कुछ दिनों बाद उठाया गया था।
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के विधायक अमीनुल इस्लाम ने मदरसों का नाम बदलने के फैसले पर सरकार की तीखी आलोचना की और कहा, ”हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। यह लोकतंत्र की मौत है. शिक्षा व्यक्तिगत पसंद का मामला है। मैं अपने बच्चों को कहां शिक्षा दिला सकता हूं यह मेरी पसंद या मेरे बच्चों की पसंद का मामला है। भाजपा सरकार द्वारा पसंद की स्वतंत्रता छीन ली जा रही है।”