16 दिसंबर 2012 को दिल्ली की सर्द रात में जिस निर्भया कांड ने पूरे देश को झकझोर दिया था, आज उसकी बरसी है। दरिंदगी करने वाले 6 दोषियों में से 4 को फांसी की सजा मिल चुकी है, एक ने आत्महत्या कर ली थी और एक जो नाबालिग था, वह रिहा होकर आम आदमी की जिंदगी जी रहा है। 11 साल बीतने के बाद भी निर्भया के परिजनों को उसकी याद आती है। वे कहते हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। बेटियों से अभी भी क्रूरता हो रही है। हालांकि दोषियों की फांसी के बाद उन्हें शांति मिली है।
निर्भया के पिता ने कहा कि आरोपियों को फांसी मिलने से पहले मेरे मन में जो मलाल था वह अब समाप्त हो चुका है। उन्होंने देश की बेटियों को अपने पैरों पर खड़े होने की बात कही। उनका मानना है कि जिस एक नाबालिग को बरी किया गया, उसे ईश्वर ने बचाया। वे कहते हैं कि कोरोना काल से पहले निर्भया को याद करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम होते थे और उसमें वे भी शामिल होते थे। लेकिन अब कोई कार्यक्रम नहीं होता।
16 दिसंबर की रात निर्भया एक दोस्त के साथ फिल्म देखकर लौट रही थी। रास्ते में दोनों ने मुनिरका से एक बस ली। इस बस में उन दोनों के अलावा 6 और लोग थे। निर्भया के दोस्त को सभी 6 दोषियों ने पीटकर बेहोश कर दिया था। उसके बाद सभी छह लोगों ने निर्भया के साथ बर्बर तरीके से सामूहिक बलात्कार किया। निर्भया को बाद में दिल्ली पुलिस ने पहले सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन आंतों और पूरे शरीर में गंभीर संक्रमण के बाद निर्भया को सिंगापुर के अस्पताल ले जाया गया, जहां 29 दिसंबर की देर रात उसने दम तोड़ दिया।
निर्भया फंड के बारे में उनका कहना है कि जिस उद्देश्य से इसे बनाया गया उसका प्रतिफल सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना से भी पुख्ता पता नहीं चल रहा। अगर केंद्र सरकार निर्भया के माता-पिता के नाते सलाहकार या सदस्य भी उन्हें रखते तो कई जरूरतमंदों को वे फंड उपलब्ध कराने में सहायता करते। आज महिलाओं को अदालती मामले में वकील खड़ा करने के लिए पैसे नहीं है।
निर्भया की मां ने कहा कि 11 साल हो गए हैं, लेकिन कुछ नहीं बदला है। सभी के सहयोग से उन्हें तो न्याय मिल गया, लेकिन कई मामले 10-12 साल से निचली अदालतों में लंबित हैं। उन्होंने कहा, कानून बने, लेकिन हुआ कुछ नहीं। कभी-कभी हम यह सोचकर इतने निराश हो जाते हैं कि कुछ भी नहीं बदलने वाला है। हमारे पास भी कई मामले आते हैं और हम उन्हें अपना नैतिक समर्थन ही दे सकते हैं।
केंद्र सरकार की रिपोर्ट बताती है कि निर्भया फंड बनने के बाद से लगातार राज्य सरकारों को विभिन्न योजनाओं के लिए इस फंड से धनराशि उपलब्ध कराई है। इसके लिए केंद्र सरकार ने एक उच्चस्तरीय समिति का भी गठन किया है। इस समिति मंत्रालय और वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों को शामिल किया गया है।
रिपोर्ट बताती है कि इस मद से आज तक कुल 7212.85 करोड़ रुपए की धनराशि उपलब्ध कराई गई है। इस धनराशि में से कुल 5118.91 करोड़ रुपए का आवंटन विभिन्न सरकारी एजंसियों को किया गया है। जो कि कुल धनराशि का करीब सत्तर फीसद है। इस मद का करीब तीस फीसद पैसा इस्तेमाल नहीं हुआ है।