उत्तर प्रदेश के एक जिला न्यायाधीश पर एक महिला जज ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। इसके बाद इस मामले पर शिकायतों की स्थिति पर इलाहाबाद हाई कोर्ट से एक रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दी गई है। सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों ने पुष्टि की कि रिपोर्ट शुक्रवार को प्राप्त हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 13 दिसंबर को शिकायतकर्ता की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। संबंधित आंतरिक शिकायत समिति ने पहले ही मामले को समझ लिया था और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की मंजूरी के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था। इसके बाद शिकायतकर्ता (सिविल जज है) ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को एक खुला पत्र लिखकर अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति मांगी थी।
पत्र पर संज्ञान लेते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने एससी रजिस्ट्री को शिकायतों की स्थिति पर हाई कोर्ट से रिपोर्ट मांगने को कहा था। शिकायतकर्ता न्यायिक अधिकारी ने अपने दो पन्नों के पत्र में छह महीने पहले अपनी पिछली पोस्टिंग में अपने सीनियर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और कहा था कि उसे निष्पक्ष जांच मिलने की कोई उम्मीद नहीं है, न्याय तो दूर की बात है।
पत्र में महिला लिखा था, “मैं बहुत उत्साह और विश्वास के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई कि मैं आम लोगों को न्याय दिलाऊंगी। मुझे क्या पता था कि मैं जिस भी दरवाजे पर जाऊंगी, जल्द ही मुझे न्याय के लिए भिखारी बना दिया जाएगा। मेरी सेवा के थोड़े से समय में मुझे खुले दरबार में मंच पर दुर्व्यवहार सहने का सम्मान मिला है। मेरा यौन उत्पीड़न हद दर्जे तक किया गया है। मेरे साथ बिल्कुल कूड़े जैसा व्यवहार किया गया है।” महिला का पत्र गुरुवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
महिला जज ने आरोप लगाते हुए लिखा कि उसे रात में अपने वरिष्ठ से मिलने के लिए कहा गया। उसने दावा किया कि उसने खुद को मारने (आत्महत्या) की कोशिश की थी लेकिन प्रयास सफल नहीं हुआ। मुझे अब जीने की कोई इच्छा नहीं है। पिछले डेढ़ साल में मुझे चलती-फिरती लाश बना दिया गया है।”