Shri Krishna Janmabhoomi: मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर को मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से भी करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 14 दिसंबर के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर का अदालत की निगरानी में अधिवक्ता आयुक्तों की तीन सदस्यीय टीम द्वारा प्राथमिक सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट में 9 जनवरी को अगली सुनवाई होगी।
गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में विवादित परिसर का सर्वे करने का आदेश दे दिया था। इसके लिए तीन कमिश्नर भी नियुक्त किए गए हैं। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह का मामला वर्षों से कानूनी दांव-पेच में फंसा हुआ है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि का सर्वे कराने को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसको लेकर महत्वपूर्ण आदेश दिया था। कोर्ट कमिश्नर विवादित परिसर का सर्वेक्षण करेंगे।
यह याचिका भगवान श्री कृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों द्वारा अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन के जरिए दायर की गई थी। जिसमें दावा किया गया है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं, जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है।
जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने यह महत्वपूर्ण निर्णय दिया था। हाईकोर्ट में श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से इसको लेकर अर्जी दाखिल की गई थी। अर्जी में एडवोकेट कमिश्नर द्वारा सर्वे कराए जाने की मांग की गई थी। अर्जी पर सुनवाई होने के बाद जस्टिस मयंक कुमार जैन ने 16 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन के अनुसार, याचिका में दावा किया गया था कि वहां कमल के आकार का एक स्तंभ है जो कि हिंदू मंदिरों की एक विशेषता है और शेषनाग की एक प्रतिकृति है जो हिंदू देवताओं में से एक हैं और जिन्होंने जन्म की रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी। याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया था कि निर्धारित समय सीमा के भीतर सर्वेक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपने के विशेष निर्देश के साथ एक आयोग का गठन किया जाए।