अब अगर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में विरोध प्रदर्शन किया तो ये महंगा पड़ेगा। JNU प्रशासन ने अपने किसी भी शैक्षणिक भवन के 100 मीटर के दायरे में पोस्टर लगाना और विरोध प्रदर्शन करना अब प्रतिबंधित कर दिया है। इसका उल्लंघन करने पर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या निष्कासन भी हो सकता है।
इससे पहले प्रशासनिक ब्लॉक (जिसमें कुलपति, रजिस्ट्रार और प्रॉक्टर समेत अन्य के कार्यालय हैं) के 100 मीटर के दायरे में विरोध प्रदर्शन पर अदालत के आदेश से प्रतिबंध लगाया गया था। मुख्य प्रॉक्टर कार्यालय के मैनुअल में ‘छात्रों के अनुशासन और उचित आचरण के नियमों’ को लिस्ट करते हुए 24 नवंबर को जेएनयू की कार्यकारी परिषद द्वारा अप्रोव किया गया था।
धरना, घेराव या प्रदर्शन के माध्यम से प्रतिबंध का उल्लंघन करने और पोस्टर लगाने पर न केवल 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा, बल्कि इसमें भाग लेने वाले छात्रों को दो सेमेस्टर के लिए छात्रावास से सस्पेंड भी किया जा सकता है। इसके अलावा दो सेमेस्टर के लिए जे.एन.यू. परिसर से निष्कासन भी हो सकता है।
यह घटनाक्रम अक्टूबर में जेएनयू में हुई घटना के बाद आया है जिसमें स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज की दीवार पर एक राष्ट्रविरोधी नारा लिखा गया था। प्रशासन ने परिसर में इस तरह की बार-बार होने वाली घटनाओं की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए जेएनयू के कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने दावा किया, “मैनुअल को पूरी तरह से हाई कोर्ट के फैसले और कानून के नियम के अनुसार ठीक किया गया है। प्रॉक्टर का कार्यालय एक कानूनी निकाय के रूप में कार्य करता है, जो अपने कर्तव्यों का पालन करता है। कई छात्रों ने अपनी फीस भी नहीं भरी है। 2022 में मैंने अधिकांश प्रदर्शनकारियों को माफ कर दिया और उन पर जुर्माना नहीं लगाया। अन्यथा उनमें से लगभग आधे को निष्कासन का सामना करना पड़ता। इस मैनुअल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्र शराब पीने, हिंसा भड़काने या नशीली दवाओं के उपयोग से बचें। मैंने छात्रों के विरोध प्रदर्शन पर जुर्माना नहीं लगाया है। वे अभी भी साबरमती छात्रावास क्षेत्र में विरोध करने के लिए स्वतंत्र हैं।”